Narak Chaturdashi 2019: इस दिन रखा गया व्रत दिलाता है नर्क से मुक्ति, जानें इसकी पौराणिक कथा

कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी अर्थात दिवाली से एक दिन पूर्व नरक चतुर्दशी का त्योहार मनाया जाता हैं। इसे कई अन्य नामों से भी जाना जाता हैं जैसे रूप चौदस, नरका चतुर्दशी आदि। इस दिन की गई पूजा और रखा गया व्रत आपको नरक से मुक्ति दिलाता हैं। इसके पीछे एक कथा जुडी हुई हैं जो की आज हम आपको बताने जा रहे हैं। तो आइये जानते हैं नरक चतुर्दशी की पौराणिक कथा के बारे में जो यमराज से जुडी हुई हैं।

प्राचीन समय में एक रन्तिदेव नामक राजा था। वह हमेशा धर्म – कर्म के काम में लगा रहता था। जब उनका अंतिम समय आया तब उन्हें लेने के लिए यमराज के दूत आये और उन्होंने कहा कि राजन अब आपका नरक में जाने का समय आ गया हैं। नरक में जाने की बात सुनकर राजा हैरान रह गये और उन्होंने यमदूतों से पूछा की मैंने तो कभी कोई अधर्म या पाप नहीं किया। मैंने हमेशा अपना जीवन अच्छे कार्यों को करने में व्यतीत किया। तो आप मुझे नरक में क्यों ले जा रहे हो। इस प्रश्न का उत्तर देते हुए उन्होंने बताया कि एक बार राजन तुम्हारे महल के द्वारा एक ब्राहमण आया था जो भूखा ही तुम्हारे द्वारा से लौट गया। इस कारण ही तुन्हें नरक में जाना पड रहा हैं।

यह सब सुनकर राजा ने यमराज से अपनी गलती को सुधारने के लिए एक वर्ष का अतिरिक्त समय देने की प्रार्थना की। यमराज ने राजा के द्वारा किये गये नम्र निवेदन को स्वीकार कर लिया और उन्हें एक वर्ष का समय दे दिया। यमदूतों से मुक्ति पाने के बाद राजा ऋषियों के पास गए और उन्हें पूर्ण वृतांत विस्तार से सुनाया। यह सब सुनकर ऋषियों ने राजा को एक उपाय बताया। जिसके अनुसार ही उसने कार्तिक मास कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन व्रत रखा और ब्राहमणों को भोजन कराया जिसके बाद उसे नरक जाने से मुक्ति मिल गई। उस दिन से पाप और नर्क से मुक्ति हेतु भूलोक में कार्तिक चतुर्दशी के दिन का व्रत प्रचलित है।