मौनी अमावस्या के दिन किए गए ये खास प्रयोग, जीवन में लाते है खुशियां

मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya ) 24 जनवरी यानी आज मध्यरात्रि 2:17 बजे से अगले दिन मध्यरात्रि 3:11 बजे तक रहेगी। इस दिन मौन धारण करने से आध्यात्मिक विकास होता है। इसी कारण यह अमावस्या मौनी अमावस्या कहलाती है। यह अमावस्या इस बार इसलिए खास मानी जा रही है, क्योंकि अमावस्या के अधिपति देवता स्वयं शनि हैं, जिनका धनु से मकर राशि में इसी दिन प्रवेश होगा। ज्योतिषचार्यों के अनुसार अमावस्या के दिन सुबह 9:51 बजे शनि का राशि परिवर्तन होगा। 29 साल बाद शनि देव अपनी राशि मकर में प्रवेश करेंगे। अर्थात उनकी अपने घर वापसी होगी, जिसमें वह ढाई साल रहेंगे। इसके बाद उनका कुंभ राशि में प्रवेश होगा। अभी वे धनु राशि में हैं। शनि एक राशि में करीब ढाई साल विचरण करते हैं। यह अपनी स्वराशि में अधिक बलवान रहेंगे। ऐसी स्थिति में जब अमावस्या का दिन हो और शनि राशि परिवर्तन कर रहे हों, तब बुजुर्ग और रोगियों की सेवा, दान पुण्य आदि सेवा कार्य करना शुभ फलदायी रहेगा। इस दिन गंगा या अन्य पवित्र नदियों में स्नान को पवित्र माना गया है। लेकिन जो लोग इस दिन किसी तीर्थ स्थान पर स्नान और दान नहीं कर पाते उन्हें घर में ही गंगा जल मिले पानी से स्नान करके दान करना चाहिए। ऐसा करने से भी मौनी अमावस्या का शुभ फल मिलता है।

पितृ दोष की शांति के लिए उपाय

- किसी पवित्र नदी या सरोवर में स्नान करें, स्नान के दौरान आठ या नौ डुबकी लगायें

- तिल मिले हुए जल से सूर्य देव को अर्घ्य दें

- भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें

- पितरों के लिए प्रार्थना करें

- किसी निर्धन व्यक्ति को अन्न और वस्त्र का दान करे

मौनी अमावस्या के खास प्रयोग

- मुक्ति और मोक्ष के लिए गौ दान करें

- आर्थिक समृद्धि के लिए भूमि दान करें

- ग्रह- नक्षत्र की बाधा से मुक्ति के लिए काले तिलों का दान करें

- रोग और कर्ज से मुक्ति के लिए सोने का दान करें

- पारिवारिक जीवन की खुशहाली के लिए पात्र सहित घी का दान करें

- किसी भी प्रकार की बाधा से मुक्ति के लिए नमक का दान करें

- वंश वृद्धि और संतान की उन्नति के लिए चांदी का दान करें

मौनी अमावस्या के दिन अगर पूरे दिन का मौन संभंव न हो तो कुछ घंटों के मौन का संकल्प लें। इससे आपको गहरी मानसिक शांति और प्रसन्नता मिलेगी। इस दिन व्यक्ति प्रण करें कि वह झूठ, छल-कपट आदि की बातें नहीं करेंगे। इस दिन से व्यक्ति को सभी बेकार की बातों से दूर रहकर अपने मन को सबल बनाने की कोशिश करनी चाहिए। इससे मन शांत रहता है और शांत मन शरीर को सबल बनाता है। इसके बाद व्यक्ति को इस दिन ब्रह्म देव तथा गायत्री का जाप अथवा पाठ करना चाहिए। मंत्रोच्चारण के साथ अथवा श्रद्धा-भक्ति के साथ दान करना चाहिए। गाय, स्वर्ण, छाता, वस्त्र, बिस्तर तथा अन्य उपयोगी वस्तुएं अपनी सामर्थ्य के अनुसार दान करनी चाहिए।