क्या आपकी जन्मकुंडली में भी हैं मांगलिक दोष, विवाह के पूर्व कर लें ये 10 उपाय

अक्सर देखा जाता हैं कि लोगों की कुंडली में कई प्रकार के दोष उत्पन्न होते है जिसका असर उनके जीवन पर भी पड़ता है। इन्हीं में से एक दोष हैं 'मांगलिक दोष' जो कि मंगल लग्न अगर जातक की कुंडली के चतुर्थ, सप्तम, अष्टम और द्वादश भाव में हो तो होता हैं। कई बार इसकी वजह से जातक की शादी में भी व्यवधान आते हैं और मान्यता हैं कि मांगलिक दोष के जातक को 'मांगलिक दोष' वाले जातक से ही होना चाहिए। ऐसे में आज हम आपके लिए कुछ ऐसे उपाय लेकर आए हैं जो मांगलिक दोष को कम करने का काम करेंगे। तो आइये जानते हैं इन उपायों के बारे में।

- उज्जैन के मंगलनाथ नामक स्थान पर भात पूजन होता है। यही एकमात्र स्थान है जहां यह कार्य होता है। इससे मंगलदोष समाप्त हो जाता है।

- कभी भी जाकर सुरक्षित स्थान पर एक नीम का पेड़ लगाएं और तब तक उसकी देखरेख करें जब तक कि वह थोड़ा बड़ा नहीं हो जाता। आप चाहे तो बड़ा पेड़ भी लगाकर उसकी कम से कम 43 दिन तक देखरेख करें।

- सफेद सुरमा 43 दिन तक लगाना चाहिए।

- कम से कम 1001 बार हनुमान चालीसा पढ़कर हनुमानजी को चौला चढ़ाएं।

- यदि आप मांस खाते हैं तो विवाह पूर्व मांस छोड़ने का संकल्प लें।

- इसमें कुंभ विवाह भी किया जाता हैं अर्थात किसी घढ़े के साथ विवाह करते उसे फोड़ दिया जाता है। हालांकि इस संबंध में किसी पंडित से चर्चा करेंगे तो वे अच्छे से बता पाएंगे।

- यदि आपको किसी भी प्रकार की स्वास्थ समस्या नहीं है तो लोगों को गुड़ खिलाएं और खुद भी थोड़ा थोड़ा खाते रहें।

- पेट में गैस बनना, कब्ज रहना और खून का गंदा होना मंगल खराब की निशानी है। अत: इस पर ध्यान दें और इसे ठीक करें।

- अपने क्रोध पर काबू और चरित्र को उत्तम रखना चाहिए। भाई-बहनों का सम्मान करें।

- कुंडली के अनुसार अष्टम का मंगल है तो तंदूरी मीठी रोटी कुत्ते को 40 या 45 दिन तक खिलाएं और गले में चांदी की चेन पहनें। अदि सप्तम का मंगल है तो बुध और शुक्र का उपाय करने के साथ ही घर में ठोस चांदी रखें। यदि चौथा मंगल है तो वटवृक्ष की जड़ में मीठा दूध चढ़ाएं। चिड़ियों को दाना डालें, बंदरों को गुड़ और चना खिलाएं। अपने पास सदैव चांदी रखें। यदि मंगल लग्न में हैं तो शरीर पर सोना धारण करना चाहिए। यदि मंगर 12वें भाव में हैं तो नित्य सुबह खाली पेट शहद का सेवन करें। एक किलो बताशे मंगल के दिन बहते जल में प्रवाहित करें या मंदिर में दान दें।