10 दिन का गणेशोत्सव अब समाप्त होने की ओर हैं। 23 सितंबर को गणपति विसर्जन के साथ ही गणेशोत्सव संपन्न हो जाएगा। इन 10 दिनों में सभी भक्तगण गणपति के कई रूपों की पूजा करते हैं और उनका आशीर्वाद पाने की इच्छा रखते है। आज हम आपको गणेशोत्सव के इस ख़ास मौके पर गणपति जी के लम्बोदर रूप से जुडी पौराणिक कथा के बारे में बताने जा रहे हैं कि किस तरह गणपति जी ने लम्बोदर रूप लिया और इसके पीछे क्या कारण रहा। तो आइये जानते हैं हानपति जी के लम्बोदर रूप से जुडी पौराणिक कथा के बारे में।
समुद्रमंथन के समय भगवान विष्णु ने जब मोहिनी रूप धरा तो शिव उन पर काम मोहित हो गए। उनका शुक्र स्खलित हुआ, जिससे एक काले रंग के दैत्य की उत्पत्ति हुई। इस दैत्य का नाम क्रोधासुर था। क्रोधासुर ने सूर्य की उपासना करके उनसे ब्रह्मांड विजय का वरदान ले लिया। क्रोधासुर के इस वरदान के कारण सारे देवता भयभीत हो गए। वो युद्ध करने निकल पड़ा। तब गणपति ने लंबोदर रूप धरकर उसे रोक लिया। क्रोधासुर को समझाया और उसे ये आभास दिलाया कि वो संसार में कभी अजेय योद्धा नहीं हो सकता। क्रोधासुर ने अपना विजयी अभियान रोक दिया और सब छोड़कर पाताल लोक में चला गया।