सावन शिवरात्रि 2020 : जानें जलाभिषेक और पूजन का उत्तम समय एवं विधि

हर महीने में शिवरात्रि आती हैं जो कि शिव को समर्पित होती हैं। लेकिन सावन के इस महीने की शिवरात्रि का महत्व और भी ज्यादा हो जाता हैं। इस दिन की गई भोलेनाथ की आराधना उनका आशीर्वाद दिलाती हैं और स्वयं शिवशंकर महामृत्‍युंजय बनकर उपासक की रक्षा करते हैं। इस बार सावन की शिवरात्रि 19 जुलाई, सोमवार को हैं। कोरोना के चलते इस बार कांवड़ यात्रा नहीं हो पाई तो शुभ मुहूर्त में जलार्पण करके आप पुण्य के भागी बन सकते हैं।

चतुर्दशी तिथि प्रारंभ : 18 जुलाई को मध्यरात्रि के बाद 12 बजकर 42 मिनट से
चतुर्दशी तिथि समाप्त : 19 जुलाई को मध्यरात्रि 12 बजकर 10 मिनट तक।
महानिशिथ काल पूजा : 19 जुलाई को रात 11 बजकर 33 मिनट से 12 बजकर 10 मिनट तक।
पारण का समय : जो लोग सोमवार व्रत नहीं कर रहे हों वह 20 जुलाई की सुबह शिवजी का अभिषेक करने के बाद पारण कर सकते हैं।

सावन शिवरात्रि जलाभिषेक का उत्तम समय

शिवलिंग पर अभिषेक करने के लिए यूं तो शुभ समय सूर्योदय के बाद दोपहर 2 बजकर 45 तक है। लेकिन प्रदोष काल और रात्रि में महानिशिथ काल में पूजा भी शुभ फलदायी कहा गया है। वैसे आर्द्रा नक्षत्र और मिथुन लग्न के संयोग में सुबह 5 बजकर 40 मिनट से 7 बजकर 52 मिनट तक का समय सर्वोत्तम है। शाम में 7 बजकर 28 मिनट से रात 9 बजकर 30 मिनट तक प्रदोष कल में भी अभिषेक किया जा सकता है। इसके बाद निशीथ और महानिशीथ काल आरंभ हो जाएगा।

इस पूजन विधि से भोले को करें प्रसन्‍न

सावन शिवरात्रि के मौके पर भोले की सच्‍चे मन से आराधना करने पर मनोवांछित मुराद पूरी होती है। पंडित प्रमोद पाठक बताते हैं कि, शास्त्रों में बताया गया है कि, शिवरात्रि के दिन सुबह जल्‍दी उठकर सबसे पहले नित्यकर्म और स्नान करना चाहिए । इसके बाद साफ वस्त्र धारण करके मंदिर जाकर शिवजी की पूजा-अर्चना करनी चाहिए। इस वर्ष कोरोना संकट के कारण बहुत से मंदिरों में श्रद्धालुओं के लिए कपाट बंद रखे गए हैं ऐसे में घर पर ही शिवजी की आराधना करें। शिवजी के अभिषेक के लिए शिवपुराण में बताया गया है कि दूध, दही, शहद, घी, चीनी, इत्र, चंदन, केसर और भांग का प्रयोग करना चाहिए। इस सभी वस्तुओं से अभिषेक का अलग-अलग परिणाम बताया गया है।

शिवजी को लगाएं भोग

मान्‍यता है कि सावन शिवरात्रि पर भोलेनाथ को तिल चढ़ाने से संपूर्ण पापों का नाश होता है। इसके अलावा शिव को गेहूं से बनीं वस्‍तुओं का भोग अर्पित करना भी शुभ माना जाता है। इसके अलावा ऐश्‍वर्य पाने की आकांक्षा से मूंग का भोग लगाएं। वहीं मनचाहा वर पाने के चने की दाल का भोग भी लगाया जाता है।