आज सावन महीने के शुक्ल पक्ष की दशमी हैं जिसे वरलक्ष्मी व्रत के रूप में पूजा जाता हैं। माँ लक्ष्मी के इस रूप की पूजा आपको वैभव और संपत्ति का आशीर्वाद दिलाती हैं। इस दिन की गई पूजा और व्रत माँ लक्ष्मी का आशीर्वाद दिलाती हैं और भक्तों की झोली में खुशियाँ भर देती हैं। आपको इस व्रत का पूर्ण लाभ मिल सकें इसके लिए हम आपको इस व्रत की कथा और पूजन विधि के बारे में बताने जा रहे हैं। तो आइये जानते हैं वरलक्ष्मी व्रत से जुड़ी जानकारी। वरलक्ष्मी व्रत की कथा चारुमती नामक महिला जो माता की बहुत बड़ी भक्त थी। प्रत्येक शुक्रवार को लक्ष्मी जी की पूजा करती थी। एक रात्रि स्वप्न में माता ने इस व्रत के बारे में विस्तार से बताया। चरूमती ने इस व्रत को नियम पूर्वक रखा। उसने इसके बारे में अपनी सहेलियों को बताया। कलश की विधिवत स्थापना की। उसकी परिक्रमा की। व्रत के उपरांत सभी स्त्रियों को मन मांगी मुरादें पूर्ण हो गयीं। उन सबको धन, धान्य और संतान की प्राप्ति हुई। यह भी प्रचलित है कि माता पार्वती जी ने भी यह पूजा की है।वरलक्ष्मी व्रत की पूजन विधि व्रत वाले दिन सुबह जल्दी उठकर घर की साफ-सफाई कर लें और स्नान आदि से निवृत्त होकर घर के पूजन स्थल को गंगाजल से साफ कर पवित्र कर लें। इसके बाद व्रत का संकल्प लें। मां वरलक्ष्मी को नए वस्त्र पहना कर जेवर और कुमकुम से सजाएं। इसके बाद एक पाटे पर गणेश जी की मूर्ति के साथ मां लक्ष्मी की मूर्ति को पूर्व दिशा में स्थापित करें और पूजन स्थल पर थोड़ा सा सिंदूर फैलाएं। एक कलश में जल भरकर उसे तांदूल पर रख दें और इसके बाद कलश के चारों तरफ चंदन लगाएं।