दिवाली स्पेशल : पूजन के दौरान ध्यान रखें कैसी होनी चाहिए मां लक्ष्मी की प्रतिमा

कार्तिक मास की अमावस्या का दिन दिवाली के पावन पर्व के रूप में मनाया जाता हैं। धनतेरस से शुरू होकर यह पावन पर्व पूरे पांच दिन भैयादूज तक चलता हैं। दिवाली के दिन घर में परिवार संग पूजा की जाती हैं ताकि मां लक्ष्मी का आशीर्वाद जीवन में बना रहें और घर में कभी भी धन-वैभव और समृद्धि में कमी ना आए। ऐसे में इस दिन पूजा के दौरान कुछ नियमों का ध्यान रखना बहुत जरूरी होता हैं जिसमें से एक हैं मां लक्ष्मी की प्रतिमा या चित्र का चुनाव। आज इस कड़ी में हम आपको इसी से जुड़ी जानकारी देने जा रहे हैं कि मां लक्ष्मी का चित्र कैसा होना चाहिए जो आपके लिए शुभ रहें।

- लक्ष्मीजी का वह चित्र लाकर पूजा करें जिसमें वे उनके एक ओर श्रीगणेश और दूसरी ओर सरस्वती मां विराजमान हो तथा माता लक्ष्मी दोनों हाथों से धन बरसा रही हों, धन प्राप्ति के लिए इस तरह का चित्र लगाना बहुत शुभ होता है। यदि बैठी हुई देवी लक्ष्मी का चित्र ला रहे हैं तो लक्ष्मी मां का वह चित्र लेकर आएं, जिसमें लक्ष्मीजी लाल वस्त्र पहनकर कमल के आसन पर बैठी हुई हों।

- मां सरस्वती, मां लक्ष्मी और गणेशजी इनके दोनों तरफ हाथी अपनी सूंड को उठाए हुए हों। इस तरह के चित्र का पूजन करने से मां लक्ष्मी सदैव आपके घर में विराजमान रहेंगी। ध्यान रहे कि चित्र में माता लक्ष्मी के पैर दिखाई नहीं देते हों अन्यथा लक्ष्मी घर में लंबे समय तक नहीं टिकती। इसलिए कमल पर प्रसन्न मुद्रा में बैठी हुई लक्ष्मी को ही सर्वश्रेष्ठ माना गया है।

- यदि चित्र में मां लक्ष्मी के साथ ऐरावत हाथी भी है, तो वह अद्भुत और शुभ फलों को प्रदान करेगा। भगवान विष्णु के साथ लक्ष्मी के चित्र हो तो आप उसकी पूजा भी कर सकते हैं। श्री हरि को आमंत्रित करके मां लक्ष्मी को घर में विराजित किया जाता है। भगवान विष्णु के साथ घर में पधारने वाली मां लक्ष्मी गरुड़ वाहन पर आती हैं, जिसे बहुत शुभ माना गया है।

- जिस तस्वीर में अकेली लक्ष्मी हो ऐसा चित्र पूजा हेतु दीपावली के दिन नहीं लगाएं। धर्म ग्रंथों के अनुसार अकेली लक्ष्मी मां के चित्र का पूजन करने की अपेक्षा गणेश व सरस्वती के साथ उनका पूजन अति कल्याणकारी होता है। ध्यान रहे दीपावली पूजन में मिट्टी के लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियां अथवा चित्र आदि छवियां नई हों। चांदी की मूर्तियों को साफ करके पुनः पूजा के काम में लिया जा सकता है। कभी भी खंडित और फटे हुए चित्रण की पूजा न करें।