अगर आप साल की शुरुआत में सुपरमून का दीदार नहीं कर पाए तो अब आपके लिए सदी के सबसे लंबे चंद्रग्रहण को देखने का मौका है। शुक्रवार को गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर चांद को ग्रहण लग रहा है और यह 21वीं सदी का सबसे लंबा चंद्रग्रहण है। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अनुसार, ग्रहण का समय एक घंटा 43 मिनट होगा और इसे देश के सभी भागों में देखा जा सकता है।
चंद्र ग्रहण का पहला खंडग्रास चरण शुक्रवार की रात 11.54 बजे शुरू होगा और चांद धीरे-धीरे पूरी तरह पृथ्वी की छाया में आ जाएगा। इसके बाद पूर्ण चंद्र ग्रहण का चरण शुक्रवार की ही रात एक बजे आरंभ होगा और 2.43 बजे समाप्त होगा। इसके बाद अंतिम चरण में आंशिक चंद्रग्रहण सुबह 3.49 बजे समाप्त होगा।
चंद्रग्रहण एक आकाशीय घटना है जिसमें चांद और सूर्य के बीच पृथ्वी के आ जाने से सूर्य का प्रकाश चांद पर नहीं पड़ता है, जिससे चांद धरती पर दिखाई नहीं देता है।
धार्मिक मान्यता के अनुसार, यह एक अशुभ घटना है और इसकी छाया से बचने के लिए लोग ग्रहण के बाद स्नान-दान करते हैं। लेकिन अब ज्ञान-विज्ञान का प्रसार होने से चंद्रग्रहण और सूर्यग्रहण संबंधी भ्रांतियां कम हुई हैं। हालांकि, कई लोग आज भी मानते हैं कि इस खगोलीय घटना से स्वास्थ्य और व्यापार पर असर होता है इसलिए वे दान और पुण्य के कार्य करते हैं।
- यह साल का दूसरा चंद्र ग्रहण होगा। यह ग्रहण रात 11.54 से शुरू होकर अगले दिन 28 जुलाई सुबह 3.49 तक रहेगा, यानी यह पूर्ण चंद्र ग्रहण (Lunar Eclipse 2018) 1 घंटे 48 मिनट तक बना रहेगा।
- 27 जुलाई 2018 की रात लगने वाला चंद्र ग्रहण सदी का सबसे लंबा ग्रहण होगा। इसके बाद 9 जून 2123 में इतना लंबा Lunar Eclipse देखने को मिलेगा।
- चंद्र ग्रहण के कारण बदरीनाथ और केदारनाथ मंदिर के कपाट शुक्रवार दोपहर से शनिवार सुबह तक बंद रहेंगे।
- प्रदूषण के कारण कुछ मैट्रो शहरों में ग्रहण को देख पाना आसान नहीं होगा। लेकिन ग्रामीण इलाकों के लोग इस खगोलीय घटना का भरपूर मज़ा उठा पाएंगे। हालांकि, मॉनसून सीज़न होने के कारण संभव है कि चंदग्रहण बादलों को छुपा हुआ नज़र आए।
- इस बार चंद्र ग्रहण के दौरान चंद्रमा पृथ्वी के बिल्कुल केंद्र से उत्तर से होकर गुजरेगा। ये स्थिति 1 घंटे 2 मिनट की होगी, इसी कारण इस बार ग्रहण लंबा होगा। साथ ही इस बार ल्यूनर एपोजी (पृथ्वी से सबसे दूरी पर स्थित चंद्रमा का आर्बिटल पॉइंट जिससे यह बहुत छोटा और दूर नजर आता है) भी है।
- चंद्र ग्रहण को नंगी आंखों से देख सकते हैं। आप चाहे तो खुले मैदान या फिर पास के किसी पार्क में जाकर चांद का दीदार कर सकते हैं।
- विज्ञान की भाषा में कहें तो चंद्रग्रहण उस खगोलीय स्थिति को कहते है जब चंद्रमा पृथ्वी के ठीक पीछे उसकी प्रच्छाया में आ जाता है। ऐसा तब होता है जब सूर्य, पृथ्वी और चन्द्रमा लगभग एक सीधी रेखा में आते हैं।
- इस चंद्र ग्रहण में चंद्रमा लाल रंग का दिखेगा, जिसे ब्लड मून भी कहा जाता है। ऐसा तब होता है जब कुछ समय के लिए पूरा चांद अंतरिक्ष में धरती की छाया से गुजरता है। इस दौरान सूर्य की रोशनी धरती के वायुमंडल से गुजरते वक्त बिखर जाती है।
- इस साल पांच ग्रहण होंगे, जिसमें से 3 सूर्य ग्रहण और 2 चंद्र ग्रहण हैं। 27 जुलाई को साल 2018 का दूसरा चंद्र ग्रहण है।
- साल 2018 का पहला चंद्र ग्रहण 31 जनवरी को दिखाई दिया था। 152 साल बाद यह ऐसा चंद्र ग्रहण था, जो 77 मिनट तक के लिए रहा। इस दौरान चांद 30 फीसदी ज़्यादा चमकीला था।
चंद्र ग्रहण के दौरान इन बातों का रखें ध्यान :- सूर्य ग्रहण की तरह आपको इसे चश्मों के साथ देखने की ज़रूरत नहीं पड़ती। बल्कि चंद्र ग्रहण को नंगी आंखों से देखा जा सकता है। वहीं, सूर्य ग्रहण को खास सोलर फिल्टर वाले चश्मों से देखने की सलाह दी जाती है जिन्हें सोलर-व्युइंग ग्लासेस, पर्सनल सोलर फिल्टर्स या आइक्लिप्स ग्लासेस कहा जाता है।
- आप चाहे तो खुले मैदान या फिर पास के किसी पार्क में जाकर चांद का दीदार कर सकते हैं।
- सिर्फ चश्मे ही नहीं इस ग्रहण को देखने के लिए आपको किसी भी तरह से खास आंखों को प्रोटेक्ट करने वाले साधन की ज़रूरत नहीं है।
- वहीं, ज्योतिषों और पंडितों के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि ग्रहण के वक्त खुले आकाश में ना निकलें, खासकर प्रेग्नेंट महिलाएं, बुजुर्ग, रोगी और बच्चे। ग्रहण से पहले या बाद में ही खाना खाएं।
गर्भवती महिलाओं को चन्द्र ग्रहण के दौरान इन कामों को नहीं करना चाहिए- ग्रहण के वक्त चाकू, कैंची आदि का प्रयोग नहीं करना चाहिये, नही तो बच्चे के होठ कट जाते हैं।
- ग्रहण के वक्त सुई का प्रयोग करने से होने वाले बच्चे के दिल में छेद हो जाता है।
- ग्रहण के वक्त पानी पीने से गर्भवती को डीहाइड्रेशन हो जाता है। बच्चे की त्वचा सूख जाती है।
- ग्रहण को नग्न आंखों से देखने से गर्भ में पल रहे बच्चे की आंखों पर असर पड़ता है।
- ग्रहण के वक्त गर्भवती महिला को घर के अंदर रहना चाहिये, बाहर नहीं निकलना चाहिये।
- ग्रहण के वक्त गर्भवती महिला को सोना नहीं चाहिये। बजाये उसके घर के अंदर ऊंचे स्वर में मंत्रों का जाप किया जाना चाहिये।
- ग्रहण के बाद गर्भवती महिला को स्नान करना चाहिये। अन्यथा बच्चे को बीमारी लग सकती है।