भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को जन्माष्टमी का पर्व आता हैं। यह इस बार 3 सितम्बर को मनाया जा रहा हैं। इस दिन को बहुत ही शुभ माना जाता है क्योंकि इस दिन कान्हा धरती पर जन्मे थे। आपको जानकर हैरानी होगी कि इस बार श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर ठीक वैसा ही संयोग बन रहा हैं जो द्वापर युग में कान्हा के जन्म के समय बना था। इस योग का नाम है श्रीकृष्ण जयंती योग, आज हम आपको इस योग से होने वाले प्रभाव के बारे में ही बताने जा रहे हैं। तो आइये जानते हैं।
इस साल 2 सितंबर, रविवार को रात 8 बजकर 48 मिनट पर अष्टमी तिथि लग रही है।निर्णय सिंधु नामक ग्रंथ के अनुसार, जब भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि में आधी रात यानी बारह बजे रोहिणी नक्षत्र हो और सूर्य सिंह राशि में तथा चंद्रमा वृष राशि में हों, तब श्रीकृष्ण जयंती योग बनता है।
धार्मिक आस्था है कि कृष्ण जयंती योग के समय व्रत और उपवास रखना बहुत ही शुभ होता है। यही वजह है कि कान्हा के जन्म से एक-दो दिन पहले ही लोग व्रत और उपवास करना शुरू कर देते हैं। व्रती लोग कन्हैया के जन्म के समय तक लगातार भजन-कीर्तन करते रहते हैं। फिर रात बारह बजे कान्हा के अवतरण समय के बाद ही प्रसाद ग्रहण करते हैं और फिर अगले दिन सूर्य को जल देकर भोजन करते हैं।
सनातन धर्म में इस योग को बहुत ही शुभ माना गया है। ऐसे में इस मुहूर्त में जन्मे बच्चों को बहुत भाग्यशाली और परिवार का नाम रोशन करनेवाला माना जाता है। कहते हैं इस दुर्लभ योग में जन्म लेनेवाले बच्चों पर सदैव प्रभु की कृपा बनी रहती है।