इन ज्योतिषीय उपायों से पूरी करें संतान प्राप्ति की चाहत, ग्रहों को बनाए अनुकूल

विवाह के बाद हर दंपत्ति की चाहत होती हैं कि उनके घर में एक नन्हा-मुन्ना मेहमान आए जो घर में खुशियां फैलाने का काम करें। लेकिन कई दंपत्ति शादी के बाद भी लंबे समय तक अपनी इस चाहत को पूरा नहीं कर पाते हैं। इसके पीछे ग्रहों की स्थिति भी अनुकूल होना जरूरी हैं। इसलिए आज इस कड़ी में हम आपके लिए कुछ ऐसे ज्योतिषीय उपायों की जानकारी लेकर आए हैं जो ग्रहों को अनुकूल बनाएंगे और संतान प्राप्ति की चाहत को पूरा करेंगे। तो आइये जानते हैं इन उपायों के बारे में।

40 दिन तक करें यह उपाय

लाल किताब के अनुसार, संतान प्राप्ति में अगर बाधा आ रही है तो चांदी का तार लें और उसको अग्नि में डाल दें। फिर उस तार को दूध में डाल दें और पी जाएं, ऐसा आप लगातर 40 दिनों तक करें। ऐसा करने से कुंडली में शुक्र की स्थिति मजबूत होती है, जिससे सभी शारीरिक समस्याओं का अंत होता है और संतान की कामना की पूर्ति होती है।

इस मंत्र से मिलेगा लाभ

संतान प्राप्ति के लिए शुक्र के बीज मंत्र ‘ओम शुं शुक्राय नम:’ का जप करना आपके लिए लाभदायक रहेगा। इस मंत्र के जप से न सिर्फ पौरुष वृद्धि होती है बल्कि आपको भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है। इस मंत्र के नियमित जप से हानिकारक तत्वों का नाश होता है और शरीर में एक नई ऊर्जा का संचार होता है।

यह रत्न जीवन में लाएगा सुख

पौरुष वृद्धि के लिए आप फिरोजा रत्न धारण कर सकते हैं। बृहस्पति ग्रह का यह रत्न नीले रंग का होता है और यह उपचारात्मक शक्तियों के लिए सबसे अच्छा माना जाता है। इस रत्न से शुक्र भी अनुकूल होता है और राहु-केतु की प्रतिकूलता में भी कमी आती है। इस रत्न को धारण करने से संतान प्राप्ति के साथ-साथ जीवन में सुख-समृद्धि भी आती है। प्राचीन संस्कृति में फिरोजा रत्न को लोग संतान प्राप्ति और धन वृद्धि के लिए पहनते थे।

इस रत्न को न पहनें महिलाएं

ज्योतिष में बताया गया है कि हीरा को बिना सोचे विचारे नहीं पहनना चाहिए और खासकर उन महिलाओं को जो संतान प्राप्ति की इच्छा रखती हैं। संतान प्राप्ति के बाद ही महिलाएं हीरा रत्न धारण करें क्योंकि संतान प्राप्ति के लिए हीरा पहनना नुकसानदायक माना जाता है। साथ ही इससे शादीशुदा जिंदगी में व्यवधान आता है इसलिए बिना ज्योतिष सलाह के हीरा धारण न करें।

गर्भधारण की समस्या होती है खत्म

किसी कारण से महिलाओं को गर्भधारण करने में परेशानी आ रही है या फिर गर्भ नष्ट हो जाता है तो इसके लिए चिकित्सा के साथ-साथ लाल गाय और उसके बछड़े की सेवा करें। इसके साथ ही आप लाल या भूरे रंग का कुत्ता भी पाल सकते हैं। दरअसल इससे सूर्य व मंगल की स्थिति कुंडली में मजबूत होती है और उससे संबंधित दोष भी दूर हो जाते हैं, जिससे गर्भधारण की समस्या खत्म होती है।

लंबे अंतराल के बाद भी मिलता है सुख

ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, अगर विवाह के काफी साल गुजर गए हैं और अभी तक बच्चे की किलकारियां आंगन में नहीं गूंजी हैं तो शुक्रवार के दिन मदार पेड़ की जड़ को उखाड़ लें और फिर उसको उस कमरे में बांध दें, जिसकी संतान न हो रही हो। ऐसा करने से हर प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और संतान प्राप्ति की बाधा खत्म होती है।

इससे पितरों का मिलता है आशीर्वाद

पितर हमारे जीवन पर गहरा प्रभाव डालते हैं और उनके आशीर्वाद से जीवन में हमेशा सुख-शांति बनी रहती है। लेकिन कभी-कभी जाने-अनजाने ऐसी गलतियां हो जाती हैं, जिसका असर गहरा होता है। इसलिए पीतरों को याद करते हुए पीपल पर जल और दूध चढ़ाएं और संतान प्राप्ति की कामना करें। ऐसा करने से पितर वंश वृद्धि के लिए आशीर्वाद देते हैं और इससे घर की प्रगति भी होती है।