पितृपक्ष में श्राद्ध करते समय बरतें सावधानी, भुगतने पड़ सकते है गलतियों के बुरे परिणाम

भाद्रपद महीने की समाप्ति के साथ ही श्राद्ध पक्ष की शुरुआत हो जाती हैं। आश्विन कृष्ण पक्ष को पितृपक्ष के रूप में माना जाता हैं जिसमें सभी अपने पितरों का श्राद्ध करते हैं और पिंडदान करते हैं। आश्विन कृष्ण पक्ष के श्राद्ध को पार्वण श्राद्ध कहा जाता हैं। इस समय में पूर्वज जिस भी तिथि को यह दुनिया छोड़कर गए हैं उस दिन श्राद्ध किया जाता हैं। इससे पितरों का आशीर्वाद भी प्राप्त होता हैं। लेकिन श्राद्ध पक्ष में कुछ बातों का ध्यान रखने की जरूरत होती हैं क्योंकि इस समय में की गई गलतियां पितरों को नाराज करती हैं और इसके बुरे परिणाम भुगतने को मिल सकते हैं। तो आइये जानते हैं पितृपक्ष में किन बातों का ध्यान रखा जाए।

- श्राद्ध के समय किसी भी शुभ काम को करने से बचें। विवाह, घर खरीदना या सोने चांदी जैसे आभूषण या कार आदि खरीदने से बचें। यहां तक कि शुभ काम की चर्चा के लिए भी इस माह को बीतने देना चाहिए।

- पितृपक्ष में कभी भी अपने घर से किसी को पानी पीए बिना न जानें दें। यदि कोई पानी मांग रहा तो उसे पानी के साथ मीठा भी दें। ऐसा माना जाता है कि पितृ किसी भी रूप में आपसे अन्न और जल पाने के लिए आते हैं।

- गाय, कुत्ता, बिल्ली, कौआ इन सब को श्राद्ध में खाना जरूर दें। ये पितृ का रूप होते हैं।

- पितृ पक्ष में बिलकुल सादा खाना खाएं। मांसाहार या तामसिक चीजों का सेवन न करें। शराब और नशीली चीजों को बिलकुल हाथ न लगाए। घर में कलह न होने दें।

- नाखून, बाल एवं दाढ़ी मूंछ बनवाना इन दिनों में वर्जित होता है। यह सारे काम श्राद्ध करने के बाद ही करने चाहिए। पितरों के लिए शोक व्यक्त करने का ये तरीका होता है।

- पितृपक्ष में जब भी आप कुछ खाना बनाए उसका एक हिस्सा पितरों के लिए जरूर निकालें। फिर इसे आप गाय, कुत्ता या कौए को खिला दें।

- श्राद्ध पक्ष में कभी शारीरिक संबंध न बनाएं। यह समय ब्रह्मचर्य के पालन का होता है।