सुहाग‍िन महिलाएं निर्जला रखती हैं कजरी तीज का व्रत, जानें पूजन विधि और कथा

भाद्रपद्र मास के कृष्‍ण पक्ष की तीज को कजरी तीज का व्रत पड़ता हैं जिसका सुहागिन महिलाओं के जीवन में बहुत महत्व होता हैं। पति की लम्बी उम्र के लिए रखे जाने वाले कई व्रतों में यह एक भी शामिल हैं। इस बार यह व्रत 25 अगस्त, बुधवार को पड़ रहा हैं। इस व्रत को महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं और चंद्रमा को अर्घ्‍य देकर पति के हाथ से पानी पीकर व्रत खोलती हैं। आज इस कड़ी में हम आपको इस व्रत की पूजन विधि और कथा के बारे में बताने जा रहे हैं।

व्रत-पूजन की सामग्री और व्रत की पूजन व‍िध‍ि

कजरी तीज का व्रत निर्जला रखा जाता है। हालांकि गर्भवती महिलाओं को फलाहार करने की अनुमति दी गई है। इसके अलावा सुहागिनें बीमारी या फिर किसी अन्‍य कारण से व्रत न रखने में समर्थ न हों तो वह एक बार व्रत का उद्यापन करने के बाद फलाहार करके व्रत कर सकती हैं। कजरी तीज व्रत के ल‍िए सुहागिनें व्र‍त के एक दिन पहले ही पूजन सामग्री एकत्रित कर लेती हैं। इसमें मेंहदी, अगरबत्‍ती, हल्‍दी, कुमकुम, मौली, सत्‍तू, फल, मिठाई, दान के लिए वस्‍त्र शामिल होते हैं।

चंद्रमा को अर्घ्‍य देकर पति के हाथ से पानी पीकर खोलें व्रत

सबसे पहले घर में पूजा के लिए सही दिशा का चुनाव करके दीवार के सहारे मिट्टी और गोबर से एक तालाब जैसा छोटा सा घेरा बना लें। इसके बाद उस तालाब में कच्‍चा दूध और जल भर दें। फिर किनारे पर एक दीपक जलाकर रख दें। उसके बाद एक थाली में केला, सेब सत्‍तू, रोली, मौली-अक्षत आदि रख लें। तालाब के किनारे नीम की एक डाल तोड़कर रोप दें। इस नीम की डाल पर चुनरी ओढ़ाकर नीमड़ी माताजी की पूजा करें। शाम को चंद्रमा को अर्घ्‍य देने के बाद पति के हाथ से पानी पीकर व्रत खोलें।

कजरी तीज की व्रत कथा

एक साहूकार के सात बेटे थे। उसमें से सबसे छोटा बेटा अपाहिज था और उसे वेश्‍यालय जाने की खराब लत थी। हालांकि उसकी पत्‍नी काफी पतिव्रता थी। हमेशा ही अपने पति की हर बात का पालन करती थी। वह जैसा कहता था वैसा ही करती। यहां तक कि पति को वेश्‍यालय भी खुद ही अपने कंधों पर बिठाकर ले जाती। एक बार की बात है कि कजरी का व्रत पड़ा और वह पति को वेश्‍यालय लेकर गई। उसे अंदर तक छोड़कर बाहर वहीं पास की नदी के किनारे बैठकर उसका इंतजार करने लगी। तभी मूसलाधार वर्षा हुई और नदी में पानी बढ़ने लगा और नदी से आवाज आई कि ‘आवतारी जावतारी दोना खोल के पी, पिया प्‍यारी होय।’ यह सुनते ही उसने नदी की ओर देखा तो एक दोने में दूध भरा हुआ दिखाई दिया। उसने वह दोना लिया और सारा दूध पी लिया। इसके बाद ईश्‍वर की कृपा से उसका पति भी वेश्‍या को छोड़कर उससे प्रेम करने लगा और सही मार्ग पर वापस लौट आया। उसकी पत्‍नी ने इसके लिए ईश्‍वर को खूब धन्‍यवाद दिया और नियमपूर्वक कजरी का व्रत पूजन करने लगी।

(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। lifeberrys हिंदी इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन पर अमल करने से पहले विशेषज्ञ से संपर्क जरुर करें।)