आज 16 नवंबर, बुधवार को मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पड़ रही हैं जिसे भगवान शिव के अवतार काल भैरव के अवतरण दिवस के तौर पर कालाष्टमी के रूप में मनाया जाता हैं। मान्यता है कि इस दिन व्रत और पूजा-अर्चना करने से भगवान शिव जल्द प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों की इच्छाओं को पूरा करते हैं। वहीँ, भगवान काल भैरव की पूजा करने से धन, ऐश्वर्य और सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है। रुद्रावतार काल भैरव सभी दुखों को दूर करने वाले और अपने भक्तों को सुरक्षा और अभय प्रदान करने वाले हैं। आज इस कड़ी में हम आपको काल भैरव की पूजन विधि और इस दिन किए जाने वाले उपायों के बारे में बताने जा रहे हैं।
काल भैरव पूजन विधि भगवान काल भैरव का श्रृंगार सिंदूर और चमेली के तेल से किया जाता है। भगवान शिव की तरह ही काल भैरव की पूजा प्रदोष काल में की जाती है अर्थात सूर्यास्त के बाद ही काल भैरव देव की पूजा होती है। प्रदोष काल में पूजा से पहले स्नान और स्वच्छ वस्त्र धार करें। इसके बाद भैरव मंदिर में भगवान काल भैरव या शिवलिंग पर बेल पत्र पर लाल या सफेद चंदन से 'ऊँ' लिखकर 'ऊँ कालभैरवाय नम:' मंत्र का जप करते हुए चढ़ाएं और बेल पत्र चढ़ाते समय अपना मुख उत्तर की तरफ रखें। इसके बाद काल भैरव का श्रृंगार करें और फिर लाल चंदन, अक्षत, फूल, सुपारी, जनेऊ, नारियल, फूल की माला, दक्षिणा आदि अर्पित करें। इसके बाद गुड़-चने या इमरती आदि का भोग जलाएं। काल भैरव की पूजा में हमेशा ध्यान रखें कि सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए। इसके बाद काले कुत्ते को मीठी रोटी खिलाएं।
काल भैरव जयंती पर करें ये काम - मान्यताओं के अनुसार भगवान काल भैरव के जन्म दिवस के उपलक्ष्य में उनके भक्तों को ऐसे मंदिरों में उनकी पूजा करनी चाहिए जहां कम लोग जाते हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से उत्तम फलों की प्राप्ति होती है। इसके बाद बाबा भैरव नाथ के मंदिर में दीया जलाने, नारियल व जलेबी का भोग लगाने से महादेव भी प्रसन्न होते हैं और साथ ही काल भैरव अपने भक्तों की अकाल मृत्यु से रक्षा करते है।
- काल भैरव को खिचड़ी, गुड़, तेल, चावल आदि का भोग लगाया जाता है। इस दिन आप नींबू, अकौन के फूल, काले तिल, धूप दान, सरसों का तेल, उड़द की दाल, पुए आदि चीजों का दान कर सकते हैं। इन चीजों का दान करने से जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और उन्नति होती है।
- हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार काल भैरव जयंती के दिन प्रातः काल स्नानादि करने के बाद ‘ॐ हं षं नं गं कं सं खं महाकाल भैरवाय नम:।।’ मंत्र का पांच माला जाप करने से शत्रु पर विजय प्राप्ति का वरदान प्राप्त होता है। साथ ही आने वाले भविष्य में होने वाली समस्याओं से भी मुक्ति मिलती है।
- भगवान काल भैरव का वाहन एक कुत्ता है इसलिए काल भैरवाष्टमी के दिन भगवान भैरव की कृपा प्राप्त करने के लिए काले कुत्ते को मीठी रोटी या गुड़ के पुए खिलाएं। ऐसा करने से काल भैरव प्रसन्न होते हैं और भक्तों की इच्छाओं को पूरा करते हैं।
- जिन लोगों को दांपत्य जीवन में खुशहाली प्राप्त नहीं हो रही है। उन्हें काल भैरव जयंती के दिन संध्या के वक्त शमी के वृक्ष के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से दांपत्य जीवन में आ रही मुश्किलें खत्म होती हैं और भगवान शिव का आशीर्वाद मिलता है।
- काल भैरवाष्टमी के दिन सभी तरह की नकारात्मक शक्तियों से मुक्ति के लिए 'ऊँ कालभैरवाय नम:' मंत्र का जप करते रहना चाहिए और कालभैरवाष्टकम् का पाठ करना चाहिए। ऐसा करने से सभी तरह की नकारात्मक शक्तियां दूर रहती हैं और सकारात्मक ऊर्जा का संचार बना रहता है, जिससे तरक्की के मार्ग प्रशस्त होते हैं।
- भगवान काल भैरव को महादेव का रूद्र अवतार भी माना गया है। इसलिए काल भैरव जयंती के दिन भगवान शिव की पूजा करने का भी विशेष महत्व है। काल भैरव जयंती के दिन 21 बेल पत्रों पर चंदन से ओम नमः शिवाय लिख कर इन्हें शिवलिंग पर अर्पित करना चाहिए। ऐसा करने से भविष्य में होने वाले रोगों से मुक्ति मिलती है। साथ ही भय और पापों से भी मुक्ति प्राप्त होती है।