आज निर्जला एकादशी हैं जिसका व्रत बहुत फलदायी माना जाता हैं। इसकी शुरुआत दशमी तिथि की रात्रि से ही हो जाती हैं और सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान और पूजन किया जाता हैं। निर्जला एकादशी का व्रत पुण्य की प्राप्ति करवाते हुए जीवन की परेशानियों को दूर करने का काम करता हैं। लेकिन जरूरी हैं कि इसके नियमों की पालना की जाए, अन्यथा इसका उचित फल प्राप्त नहीं हो पाता हैं। तो आइये जानते हैं एकादशी के नियमों के बारे में।
- इस दिन कांसे के बर्तन में भोजन नहीं करना चाहिए।
- मांस और मसूर की दाल का सेवन नहीं करना चाहिए।
- चने का और कोदों का शाक नहीं खाना चाहिए। साथ ही शहद का सेवन भी निषेध माना गया है।
- एक ही वक्त भोजन कर सकते हैं दो वक्त नहीं।
- इस दौरान स्त्री संग शयन करना पाप माना गया है।
- इसके अलावा पान खाना, दातुन करना, नमक, तेल अथवा अन्न वर्जित है।
- इस दिन जुआ खेलना, क्रोध करना, मिथ्या भाषण करना, दूसरे की निंदा करना एवं कुसंगत त्याग देना चाहिए।