Ramzan 2019: पहली बार कुरान के उतरने की याद में पूरे महीने रखे जाते है रोजे

रमजान का मुबारक महीना मुसलमान सम्प्रदाय के लिए आध्यात्मिक रूप से बहुत मायने रखता हैं। दुनिया भर के मुसलमान द्वारा इस महीने को बेहद पवित्र माना जाता हैं और वे इस महीने में रोजे रखकर इसका सम्मान करते हैं। इस्लामी कैलंडर के अनुसार नौवां महीना रमजान का मुबारक महीना होता हैं। इस महीने में व्यक्ति अपने आप पर संयम रखना सीखता हैं। आज हम आपको रमजान के इस पाक महीने से जुड़ी जानकारी देने जा रहे है कि आखिर किस तरह मनाया जाता है यह महीना।

लूनर कैलेंडर के अनुसार नौवें महीने यानी रमजान को 610 ईसवी में पैगंबर मोहम्मद पर कुरान प्रकट होने के बाद मुसलमानों के लिए पवित्र घोषित किया गया था। तभी से दुनिया भर के मुसलमान पहली बार कुरान के उतरने की याद में पूरे महीने रोजे रखते हैं। मुसलमान महीने भर प्रभात से लेकर सूरज छिपने तक बिना खाए पिये रहते हैं। रोजेदार सवेरे बहुत जल्दी उठ जाते हैं और प्रभात से पहले ही खा लेते हैं जिसे सहरी कहते हैं। और शाम को वे इफ्तार के साथ अपना रोजा खोलते हैं।

रमजान इस्लाम के पांच स्तंभों में से एक है और यह दान करने, पुण्य यानी सबाब कमाने और दरियादिली दिखाने के सिद्धांतों से भी जुड़ा है। इस्लाम के पांच अन्य स्तंभों में धर्म पर सच्ची श्रद्धा रखना, नमाज पढ़ना, जकात यानी दान देना और हज करना शामिल है। शिया और सुन्नी रमजान दोनों के लिए रजमान के रीति रिवाज एक जैसे ही है। लेकिन कुछ अंतर भी हैं। जैसे सुन्नी मुसलमान अपना रोजा सूरज छिपने पर खोलते हैं। मतलब उस वक्त सूरज बिल्कुल दिखना नहीं चाहिए। वहीं शिया लोग आकाश में पूरी तरह अंधेरा होने तक इंतजार करते हैं।

इंडोनेशिया के कुछ हिस्सों में मुसलमान लोग पवित्र महीना शुरू होने से पहले साफ पानी में खुद को जलमग्न कर देते हैं ताकि वे आध्यात्मिक और शारीरिक रूप से शुद्ध हो सकें। इस तरह के स्नान को वहां 'पादुसान' कहते हैं। रमजान को आध्यात्मिक रूप से पवित्र होने के तरीके के तौर पर भी देखा जाता है। इस दौरान संयमित और अनुशासित व्यवहार करने के लिए प्रेरित किया जाता है। रोजे रखने का मकसद मुसलमानों को यह याद दिलाना भी है कि गरीबों और जरूरतमंदों के प्रति दयाभाव रखना और उनकी मदद करना कितना जरूरी है।