गुरुनानक देव जयंती: मक्का में भी देखने को मिला गुरूजी का चमत्कार, गुरु ग्रंथ साहिब में भी घटना का जिक्र

कल 12 नवंबर है अर्थात कार्तिक मास की पूर्णिमा जिसे सिख सम्प्रदाय द्वारा गुरुनानक देव जयंती के रूप में मनाया जाता हैं। इस बार गुरुनानक देव की 550वीं जयंती मनाई जा रही हैं और इस उपलक्ष में करतारपुर कोरिडोर भी खुल चुका हैं। गुरुनानक देव को अपने चमत्कारों के लिए भी जाना जाता था और इनके चमत्कार मक्का में भी देखने को मिला था। आज हम आपको गुरु ग्रंथ साहिब में जिक्र की गई उस घटना की जानकारी देने जा रहे हैं जो मक्का में घटित हुई।

धर्म प्रचार और समाज से बुराइयों को दूर करने के लिए नानक देव विदेशों की भी यात्रा करते थे। ऐसे में एक दिन वह मक्‍का भी पहुंचे। दिनभर घूमने के कारण नानक देव थक गए थे। लिहाजा सो गए। उसी समय इस्‍लाम को मानने वाले कुछ लोग वहां पहुंचे। उन्‍होंने नानक जी को जगाया और क्रोध में बोले कि तू कौन काफिर है, जो अल्‍लाह के घर की तरफ पैर करके सो रहा है? नानक जी ने शांति से जवाब दिया, ‘मैं दिनभर का थका हुआ हूं। इसलिए सो गया और मुझे तो हर ओर ईश्‍वर नजर आता है। तुम्‍हीं बताओ किस ओर पैर करके सोऊं।’

इस पर उन लोगों को और गुस्‍सा आ गया। उन्‍होंने नानक जी के पैर पकड़कर काबा से उल्‍टी दिशा में घुमा दिया। जैसे ही वह नानक जी का पैर घुमाकर सीधे खड़े हुए। उन लोगों ने देखा कि अब जिधर नानक जी के पैर थे, काबा उसी ओर था। उन्‍हें लगा भ्रम हुआ। उन लोगों ने फिर नानक जी का पैर उल्‍टी दिशा में घुमा दिया। लेकिन फिर से काबा उसी ओर दिखने लगा, जिस ओर नानक जी के पैर थे। अब उन्‍हें समझ आ गया था कि नानक जी कोई साधारण इंसान नहीं हैं। लिहाजा, उन लागों ने माफी मांगी।