गणपति जी का हर रूप मनोहर और दिल को सुकून देने वाला हैं। गणेशोत्सव के इन पावन दिनों में गणपति जी के हर रूप की पूजा की जाती हैं। आज हम आपको गणपति जी के गजानन रूप के बारे में बताने जा रहे हैं, जो कि देवतागण और आमजन को लोभासुर के अत्याचारों से बचाने के लिए लिया गया था। तो चलिए जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कथा के बारे में कि कौन था लोभासुर और कैसे गणपति जी ने की सभी की रक्षा।
एक बार धनराज कुबेर भगवान शिव-पार्वती के दर्शन के लिए कैलाश पर्वत पर पहुंचा। वहां पार्वती को देख कुबेर के मन में काम प्रधान लोभ जागा। उसी लोभ से लोभासुर का जन्म हुआ। वह शुक्राचार्य की शरण में गया और उसने शुक्राचार्य के आदेश पर शिव की उपासना शुरू की। शिव लोभासुर से प्रसन्न हो गए। उन्होंने उसे सबसे निर्भय होने का वरदान दिया। इसके बाद लोभासुर ने सारे लोकों पर कब्जा कर लिया और खुद शिव को भी उसके लिए कैलाश को त्यागना पड़ा। तब देवगुरु ने सारे देवताओं को गणेश की उपासना करने की सलाह दी। गणेश ने गजानन रूप में दर्शन दिए और देवताओं को वरदान दिया कि मैं लोभासुर को पराजित करूंगा। गणेश ने लोभासुर को युद्ध के लिए संदेश भेजा। शुक्राचार्य की सलाह पर लोभासुर ने बिना युद्ध किए ही अपनी पराजय स्वीकार कर ली।