चैत्र नवरात्रि के दिन चल रहे हैं और इनमें सभी भक्त मातारानी को प्रसन्न करने में लगे हुए हैं। नवरात्री में पूजा-आराधना के साथ व्रत-उपवास का और पूजन का विशेष महत्व होता हैं। इन नौ दिनों में सभी भक्त मातारानी ले अलग-अलग रूपों की पूजा करते हैं और उनको भोग लगाते हैं, कन्याओं को भोजन करवाते हैं। आज हम आपको मातारानी के हर रूप को किस किस चीज का भोग लगाया जाए वह बताने जा रहे हैं ताकि मातारानी प्रसन्न हों और अपनी कृपा हम पर बनाये रखें। तो आइये जानते हैं मातारानी के किस रूप को किसका भोग लगाया जाए
* पहला दिन : नवरात्रि का पहला दिन मां शैलपुत्री का होता है। पहले दिन घी का भोग लगाएं और दान करें। इससे रोगी को कष्टों से मुक्ति मिलती है और बीमारी दूर होती है।
* दूसरा दिन : दूसरा दिन मां ब्रह्मचारिणी का होता है। माता को शक्कर का भोग लगाएं और उसका दान करें। इससे आयु लंबी होती है।
* तीसरा दिन : तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। मां को दूध चढ़ाएं और इसका दान करें। ऐसा करने से सभी तरह के दु:खों से मुक्ति मिलती है।
* चौथा दिन : चौथे दिन मां कुष्मांडा की अराधना होती है। माता को मालपुए का भोग लगाएं और दान करें। इससे सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति व सुख की प्राप्ति होती है।
* पांचवां दिन : पांचवें दिन मां स्कंदमाता का है। मां को केले व शहद का भोग लगाएं व दान करें। इससे परिवार में सुख-शांति रहेगी और शहद के भोग से धन प्राप्ति के योग बनते हैं।
* छठां दिन : छठे दिन मां कात्यानी की पूजा की जाती है। षष्ठी तिथि के दिन प्रसाद में मधु यानि शहद का प्रयोग करना चाहिए। इसके प्रभाव से साधक सुंदर रूप प्राप्त करता है।
* सातवां दिन : सातवां दिन मां कालरात्रि को पूजा जाता है। मां को गुड़ की चीजों का भोग लगाएं और दान भी करें। इससे गरीबी दूर होती है।
* आठवां दिन : अष्टमी के दिन महागौरी यानि मां दुर्गा को समर्पित है। माता को नारियल का भोग लगाएं और दान करें। इससे सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
* नौवां दिन : आखिरी यानि नवमी पर सिद्धदात्रि की पूजा की जाती है। मां को विभिन्न प्रकार के अनाजों का भोग लगाएं और फिर उसे गरीबों को दान करें। इससे जीवन में हर सुख-शांति मिलती है।