व्यक्ति भगवान को प्रसन्न करने के लिए पूजा-पाठ करता हैं और उसमें कई चीजों का प्रयोग किया जाता हैं। लेकिन क्या आपने कभी ध्यान दिया है की पूजा में काम में ली जाने वाली कई चीजों के अपवित्र होने के बाद भी उनकी पवित्रता को ऊँचा स्थान दिया गया हैं और पूजा में शामिल किया गया हैं। जी हाँ, आज हम आपको उन्हीं चीजों के बारे में बताने जा रहे हैं जो अपवित्र होने पर भी पूजा में शामिल की जाती हैं। आइये जानते हैं उन चीजों के बारे में।
* उच्छिष्ट
गाय का दूध पहले उसका बछडा पीकर उच्छिष्ट करता है यानी झूठा करता है। इसके बाद भी वह अपवित्र नहीं माना जाता है। अपवित्र नहीं होने के कारण गाय के दूध को अमृत भी कहा जाता है। * वमनम्
मधुमक्खी जब फूलों का रस ले कर अपने छत्ते पर आती है तब वो अपने मुख से उसे निकालती है यानी उस रस की उल्टी करती है। जिससे शहद बनता है और उसे फिर भी पवित्र माना जाता है। शहद का उपयोग मांगलिक कामों में किया जाता है। पांच अमृतों में शहद को भी एक माना गया है।
* शव कर्पटम्
रेशमी वस्त्र मांगलिक कामों और पूजा-पाठ में होना जरूरी है। रेशमी वस्त्र को भी पवित्र माना गया है, लेकिन रेशम को बनाने के लिये उसको उबलते पानी मे डाला जाता है और इससे उसमें रहने वाला रेशम का कीड़ा मर जाता है। उसके बाद रेशम मिलता है तो इस प्रकार शव कर्पट हुआ लेकिन यह फिर भी पवित्र है।
* काक विष्टा
कौवा पीपल आदि पेडों के फल खाता है और उन पेड़ों के बीज अपनी विष्टा यानी मल में इधर उधर छोड़ देता है जिससे पेड़ों की उत्पत्ति होती है। पीपल भी काक विष्ठा यानी कौए के मल में निकले बीजों से पैदा होता है। फिर भी इसको पवित्र माना गया है। पीपल पर देवताओं और पितरों का निवास भी माना गया है।