सावन का महीना अपने साथ कई त्योंहार भी लेकर आता हैं, जिसमें की गई भगवान शिव की आराधना विशेष फल देती हैं। इन त्योंहारों पर महिलाऐं अच्छे से तैयार होती है और सोलह श्रृंगार करती हैं। माना जाता है कि जो स्त्री सोलह श्रृंगार करती हैं वह लक्ष्मी का रूप मानी जाती हैं और उसके घर में धन का आगमन होता हैं। आपको जानकार हैरानी होगी कि सावन के इन दिनों में महिलाओं के सोलह श्रृंगार का विशेष महत्व माना जाता हैं। आज हम आपको बताने जा रहे हैं महिलाओं के उन सभी सोलह श्रृंगारों और उनसे पड़ने वाले प्रभाव के बारे में।
* बिंदी शास्त्रों के अनुसार हर सुहागिन स्त्री को अपने ललाट पर कुमकुम या सिन्दुर से लाल बिन्दी जरूर लगानी चाहिए। इसे परिवार की सुख और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।
* सिन्दूरकहते है जो स्त्री अपनी माँग में सिंदूर लगाती है उसके सुहाग का कभी भी अनिष्ट नहीं हो सकता है। उसके पति के ऊपर आई हुई बड़ी से बड़ी विपदा भी टल जाती है। उसके घर में सौभाग्य खिंचा चला आता है।
* काजल काजल से आँखों की सुन्दरता बढ़ने के साथ साथ काजल स्त्री/दुल्हन को लोगों की बुरी नजरो से भी बचाता है ।
* मेहंदीमान्यता है कि स्त्री के हाथों में मेंहन्दी जितनी गाढी रचती है, उसका पति उसे उतना ही ज्यादा प्यार करता है । मेहंदी रचाने वाली स्त्री को देवता प्रसन्न होकर आशीर्वाद प्रदान करते है ।
* मांग टीका मांग के बीचों बीच पहना जाने वाला यह आभूषण वधू , किसी भी स्त्री की सुन्दरता में चार चाँद लगा देता है। वैसे तो यह चांदी से बना होता है लेकिन अब ये सोने, कुंदन और पोल्की में भी आने लगा है। इसे विवाहित स्त्री करवा चौथ के दिन अवश्य पहनती है।
* नथ विवाह के अवसर पर दुल्हन को पवित्र अग्नि के चारों ओर सात फेरे लेने के बाद में देवी पार्वती के सम्मान में नाक में नथ पहनाई जाती है।
* हार कहते है जो स्त्री नित्य मंगलसूत्र धारण किये रहती है उसका पति सदैव उससे प्रेम करता है, उसके घर में कलह नहीं होती है।
* कर्ण फूल, झुमका गले में हार के बाद कानो में झुमके/बालियाँ सभी स्त्रियों को पहनना बहुत ही पसंद है। वहीं, इनके बिना कोई भी दुल्हन पूरी हो ही नही सकती है। सामान्यता कोई भी भारतीय स्त्री बिना कानो में बालियाँ पहने ढूंढने से भी नज़र नहीं आएगी।
* कंगन और चूडिय़ाँ शास्त्रों के अनुसार सुहागिन स्त्रियों की कलाइयां चूडिय़ों से भरी रहनी चाहिए। मान्यता है कि जो पति अपनी पत्नी के हाथों में सोने की चूड़ियाँ धारण कराता है उस परिवार में धन धान्य की कभी भी कमी नहीं होती है।
* बाजूबन्द बाजुओं में पहने जाने वाला कड़े के समान आकृति वाला यह आभूषण सोने या चाँदी का होता है। ये गहना चूड़ी की ही तरह होता है जो बांहो में पूरी तरह कसा रहता है, इसी कारण इसे बाजूबन्द कहा जाता है। बाजूबंद को सम्पन्नता की निशानी माना जाता है।
* अंगूठीविवाहित स्त्रियां अपने हाथ की अनामिका (रिंग फिंगर) में तो अँगूठी अवश्य ही पहनती है कहते है इससे पति पत्नी के मध्य सदैव प्यार बना रहता है।
* कमरबन्द कमरबन्द इस बात का प्रतीक कि नववधू अब अपने नए घर की स्वामिनी है। विवाहित स्त्रियाँ प्राय: कमरबन्द में अपने घर की चाबियों का गुच्छा लटका कर रखती है।
* बिछियाविवाहित स्त्री द्वारा अपने पैरों में बिछुए को पहनना सौभाग्य की निशानी समझा जाता है।
* पायल पायल में घुंघरू लगे होते है जिसकी मधुर ध्वनि से घर में पवित्र और सकारात्मक वातावरण बनता है और घर में लक्ष्मी खींची चली आती है।
* शादी का जोड़ा शादी के बाद प्रमुख त्योहारो विशेषकर करवा चौथ में स्त्री अपनी शादी का जोड़ा या लाल, गुलाबी, सुनहरे, पीले रंग के वस्त्र ही पहनती है ।
* गजरा किसी भी दुल्हन, स्त्री के जूड़े/बालो में जब तक सुगंधित फूलों का गजरा न लगा हो तब तक उसका श्रृंगार अधूरा ही लगता है। घर में होने किसी भी मांगलिक आयोजनो , त्योहारो में गजरे का अनिवार्य रूप से प्रयोग किया जाता है।