Bakrid 2018 : बकरीद का दिन फर्ज-ए-कुर्बान का दिन होता है, जाने इसका महत्व

बकरा ईद को बकरीद और ईद-उल-अजहा या ईद-उल जुहा के नाम से भी जाना जाता हैं। मुस्लिम सम्प्रदाय का यह पर्व पूरे देश में खुशियों की बहार लेकर आता हैं। इस दिन मुस्लिम सम्प्रदाय को लोग नमाज अदा करते हैं और बकरे की कुर्बानी दी जाती हैं। इस्लाम को मानने वाले लोगों के लिए बकरीद का विशेष महत्व है। इस्लामिक मान्यता के अनुसार हजरत इब्राहिम अपने बेटे हजरत इस्माइल को इसी दिन खुदा के हुक्म पर खुदा की राह में कुर्बान करने जा रहे थे। तब अल्लाह ने उनके नेक जज्बे को देखते हुए उनके बेटे को जीवनदान दे दिया। यह पर्व इसी की याद में मनाया जाता है।

इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक 12वें महीने धू-अल-हिज्जा की 10 तारीख को बकरीद मनाई जाती है। यह तारीख रमजान के पवित्र महीने के खत्म होने के लगभग 70 दिनों के बाद आती है।

बकरीद का दिन फर्ज-ए-कुर्बान का दिन होता है। इस्लाम में गरीबों और मजलूमों का खास ध्यान रखने की परंपरा है।इसी वजह से बकरीद पर भी गरीबों का विशेष ध्यान रखा जाता है। इस दिन कुर्बानी के बाद गोश्त के तीन हिस्से किए जाते हैं। इन तीनों हिस्सों में से एक हिस्सा खुद के लिए और शेष दो हिस्से समाज के गरीब और जरूरतमंद लोगों में बांट दिए जाते हैं। ऐसा करके मुस्लिम इस बात का पैगाम देते हैं कि अपने दिल की करीबी चीज़ भी हम दूसरों की बेहतरी के लिए अल्लाह की राह में कुर्बान कर देते हैं।