हरियाली तीज का विशेष महत्‍व, व्रत और पूजा करने की विधि

हिन्दू धर्म में तीज त्योहारों का विशेष महत्व है। सावन के महीने में तीज त्योहारों का आगमन हो जाता है। हरियाली तीज से ही त्योहारों की शुरुआत हो जाती है। यह पर्व भगवान् शिव और माता पार्वती के मिलन की याद में मनाया जाता है। तीज के दिन सभी सुहागन औरते अपने पति की लम्बी आयु के लिए दिन भर उपवास रखती है। मान्‍यता है कि तीज का व्रत रखने से विवाहित स्त्रियों के पति की उम्र लंबी होती है, जबकि अविवाहित लड़कियों को मनचाहा जीवन साथी मिलता है। साल भर में कुल चार तीज मनाई जाती हैं, जिनमें हरियाली तीज का विशेष महत्‍व है।तो आइये जानते है इस व्रत को करने की पूजा और महत्व के बारे में.....

पूजा विधि:

-सुबह उठकर स्‍नान करने के बाद मन में व्रत का संकल्‍प लें।
- सबसे पहले घर के मंदिर में काली मिट्टी से भगवान शिव शंकर, माता पार्वती और गणेश की मूर्ति बनाएं।
- अब इन मूर्तियों को तिलक लगाएं और फल-फूल अर्पित करें।
- फिर माता पार्वती को एक-एक कर सुहाग की सामग्री अर्पित करें।
- इसके बाद भगवान शिव को बेल पत्र और पीला वस्‍त्र चढ़ाएं।
- तीज की कथा पढ़ने या सुनने के बाद आरती करें।
- अगले दिन सुबह माता पार्वती को सिंदूर अर्पित कर भोग चढ़ाएं।
- प्रसाद ग्रहण करने के बाद व्रत का पारण करें।

हरियाली तीज का महत्‍व:

हरियाली तीज को छोटी तीज और श्रावण तीज के नाम से भी जाना जाता है। सावन माह में पड़ने वाली यह तीज सुहागिन स्त्रियों के लिए बेहद महत्‍वपूर्ण है। हिन्‍दू धर्म की मान्‍यताओं के अनुसार यह त्‍योहार पति के प्रति पत्‍नी के समर्पण का प्रतीक है। मान्‍यता है कि इस दिन गौरी-शंकर की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। सुहागिनों के पति दीर्घायु होते हैं और लड़कियों को मनचाहा वर मिल जाता है।