हरियाली अमावस्या 2020 : वृक्षों में विराजते हैं देवगण, करें ये काम

आने वाली 20 जुलाई 2020, सोमवार को सावन के महीने की अमावस्या हैं जिसे हरियाली अमावास के रूप में जाना जाता है। अमावस्या को वैसे भी दान-पुण्य और पितरों के पूजा के लिए जाना जाता हैं। इस अमावस्या पर देवगण वृक्षों में विराजते हैं और उनकी पूजा की जाती हैं। आज इस कड़ी में हम आपको हरियाली अमावस्या पर किए जाने वाले कुछ काम बताने जा रहे हैं जो आपके लिए शुभ फलदायी साबित होंगे। तो आइये जानते हैं इनके बारे में।

- भविष्य पुराण के अनुसार जिन्हें संतान न हो, उनके लिए वृक्ष ही संतान हैं अत: इस दिन निष्काम भाव से वृक्ष लगाना चाहिए।

- हमें ऑक्सीजन देने वाले पीपल में ब्रह्मा, विष्णु, शिव का वास होता है अत: वृक्ष लगाने में सहयोग करने से उसमें विराजित देवता हमारी सभी इच्छाएं पूर्ण करते हैं।

- अपने पितरों की शांति के लिए हवन आदि करवाने का विशेष महत्व है।

- शास्त्रों के अनुसार इस तिथि के स्वामी पितृदेव हैं अत: पितरों की प्रसन्नता के लिए ब्राह्मण को भोजन करवाकर दान-दक्षिणा अवश्य देना चाहिए।

- हरियाली अमावस्या के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर अपने ईष्टदेव का ध्यान लगाना चाहिए।

- अपने पितरों को प्रसन्न करने के लिए किसी एकांत स्थान के जलाशय में स्नान करके योग्य ब्राह्मण को दान देना चाहिए।

- अपने पितृगण को प्रसन्न करने के लिए इस दिन पितरों को स्मरण करते हुए वृक्ष लगाना चाहिए।

- इस दिन ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करना चाहिए।

- सिर्फ वृक्ष लगाने से काम नहीं चलेगा अत: हमें उन्हें खाद-पानी देने का भी विशेष ध्यान रखना चाहिए।

- प्रकृति, पर्यावरण एवं वृक्षों के प्रति अपनी कृतज्ञता प्रकट करने हेतु हर व्यक्ति को हरियाली अमावस्या पर 1-1 पौधा रोपण अवश्य करना चाहिए।

- स्नान दान के लिए अमावस्या बहुत ही सौभाग्यशाली तिथि मानी जाती है। खासकर पितरों की आत्मा की शांति के लिए हवन-पूजा, श्राद्ध-तर्पण आदि करने के लिए तो अमावस्या श्रेष्ठ तिथि होती है।

- हरियाली अमावस्या के दिन पीपल की पूजा करके इसके फेरे लिए जाते हैं और मालपुओं का भोग लगाया जाता है।

- इस दिन पीपल, बरगद, केला, नीबू, तुलसी आदि का वृक्षारोपण करना अतिशुभ माना जाता है। दरअसल वृक्षों की प्रति अपनी कृतज्ञता प्रकट करने के पर्व के रूप में भी हरियाली अमावस्या को जाना जाता है।

- हरियाली अमावस्या के दिन नए पौधे लगाकर उसकी देखभाल करने, उन्हें नियमित जल देने और खाद आदि देने से अनंत पुण्य फल की प्राप्ति होती है।