गोवर्धन के दिन की जाती है भगवान कृष्ण की पूजा, जानें पूर्ण पूजन विधि

कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा का दिन गोवर्धन पूजा के लिए जाना जाता हैं। यह दिवाली के अगले दिन आता हैं और इस दिन गोवर्धन पर्वत के साथ भगवान श्री कृष्ण की पूजा भी की जाती हैं। इसी के साथ इस दिन किसान लोग अपनी गायों की पूजा भी करते हैं। इस पूजा का हमारे देश में बड़ा महत्व माना जाता हैं क्योंकि इससे पौराणिक घटना तो जुडी हुई है ही, लेकिन इसी के साथ ही यह पृथ्वी और गाय दोनों के विकास और उन्नति को दर्शाता हैं। आज हम आपको गोवर्धन पूजा की पूर्ण विधि बताने जा रहे हैं। तो आइये जानते है इसके बारे में।

* सुबह जल्दी स्नान किया जाता हैं।
* घर की रसौई में ताजे पकवान बनाये जाते हैं।
* घर के आँगन में अथवा खेत में गोबर से भगवान गोवर्धन की प्रतिमा बनाई जाती हैं।
* साथ में गाय, भैंस, खेत खलियान, बैल, खेत के औजार, दूध दही एवम घी वाली, चूल्हा आदि को गोबर अथवा मिट्टी से बनाया जाता हैं। इस पूजा के जरिये खेती से जुड़ी सभी चीजो एवम जलवायु प्राकृतिक साधनों की पूजा की जाती हैं इस लिए जितना संभव हो उतना बनाकर पूजा में शामिल किया जाता हैं।

* इसके बाद पूजा की जाती हैं।
* नैवेद्य चढ़ाया जाता हैं।
* कृष्ण भगवान की आरती की जाती हैं।
* इस दिन पूरा कुटुंब एक साथ भोजन करता हैं।
* इस दिन सुबह शरीर पर तेल की मालिश करके स्नान करना चाहिए। फिर घर के द्वार पर गोबर से प्रतीकात्मक गोवर्धन पर्वत बनाएं। इस पर्वत के बीच में पास में भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति रख दें। अब गोवर्धन पर्वत व भगवान श्रीकृष्ण को विभिन्न प्रकार के पकवानों व मिष्ठानों का भोग लगाएं। साथ ही देवराज इंद्र, वरुण, अग्नि और राजा बलि की भी पूजा करें। पूजा के बाद कथा सुनें। प्रसाद के रूप में दही व चीनी का मिश्रण सब में बांट दें। इसके बाद किसी योग्य ब्राह्मण को भोजन करवाकर उसे दान-दक्षिणा देकर प्रसन्न करें।