भगवान शिव को चढ़ाने वालें फूलों से जुड़े है कुछ नियम, पालन करने पर होती है इच्छा पूरी

हिन्दू धर्म में पूजा-पाठ का बड़ा महत्व माना जाता हैं और शायद ही ऐसी कोई पूजा होगी जिसमें पुष्प अर्पण नहीं किये जाते होंगे। हर पूजा में भगवान को पुष्प अर्पित करके प्रसन्न किया जाता हैं। खासकर सावन के इस महीने में तो भगवान शिव को कई तरह के पुष्प चढ़ाये जाते हैं। आज हम आपको शिव के पूजन में फूलों से जुडी कुछ बातें बताने जा रहे हैं। ताकि आप इन बातों को जानकर भगवान शिव का आशीर्वाद पा सकें। तो आइये जानते हैं भगवान शिव को कौन से पुष्प अर्पित किए जाने चाहिए।

* भगवान शिव को श्वेतार्क मदार अर्थात् सफ़ेद अकाव एवं बिल्वपत्र बहुत प्रिय है। श्रावण मास में भगवान शिव को सफ़ेद अकाव के फूल की माला अर्पित करने से विशेष लाभ होता है। इसके अतिरिक्त भगवान शंकर को नीला अकाव, कनेर, धतूरे का पुष्प, शिव कटास, अपराजिता के पुष्प, शमी पुष्प, शंखपुष्पी, चमेली, नागकेसर, नागचम्पा, खस, गूलर, पलाशम केसर, कमल आदि पुष्प भी प्रिय हैं।
* शिवजी की पूजा में कुछ पुष्पों का चढ़ाया जाना शास्त्रसम्मत नहीं है। वे हैं- कदम्ब, केवड़ा, केतकी, शिरीष, अनार, जूही आदि।
* पुष्प सदैव जिस अवस्था में खिलते हैं उसी अवस्था में अर्पित किए जाने चाहिए अर्थात् पुष्प का मुख आकाश की ओर होना चाहिए।
* दूर्वा सदैव अपने ओर करके अर्पित की जानी चाहिए एवं बिल्व पत्र सदैव नीचे मुख रखते हुए चढ़ाना चाहिए। पुष्प अर्पित करने से पूर्व उन्हें सूंघना नहीं चाहिए। कीड़े वाले पुष्प भगवान को अर्पित नहीं किए जाते। जिन पुष्पों में पैर छू गया हो ऐसे पुष्प भी भगवान को अर्पित नहीं किए जाते।
* भगवान को बासी पुष्प अर्पित नहीं किए जाते। शास्त्रानुसार माली के घर के फूलों को कभी बासी नहीं माना जाता, अत: माली से फूल लेते समय बासी पुष्प का विचार नहीं करना चाहिए।