सावन का यह महीना भगवान शिव को अतिप्रिय हैं क्योंकि इस महीने में भगवान शिव का विवाह माँ पार्वती के साथ हुआ था। आज सावन के इस पवित्र महीने में हम आपको भगवान शिव की बहिन असावरी देवी से जुड़ा एक किस्सा बताने जा रहे हैं, जिसके बारे में आप शायद ही जानते होंगे। तो आइये जानते हैं माँ पार्वती और उनकी ननद असावरी देवी के बीच के किस्से के बारे में।
भगवान शिव की एक बहन असावरी देवी भी है। एक पौराणिक कथा के अनुसार जब देवी पार्वती ने भगवान शिव से विवाह किया तो पार्वती जी की अकेलेपन के कारण इच्छा हुई कि उनकी एक ननद होती जिससे उनका मन लगा रहता, भगवान शिव ने देवी पार्वती के मन की बात जान ली। भगवान शिव ने कहा मैं तुम्हें ननद तो लाकर दे दूं लेकिन ननद के साथ आपकी बनेगी नहीं क्योंकि ननद का स्थान उसके अपने घर अपनी ससुराल में होता है मायके में नहीं। लेकिन माँ पार्वती नहीं मानी, तब भगवान शिव ने अपनी माया से एक देवी को उत्पन्न कर दिया। इनका नाम असावरी देवी था।
देवी पार्वती अपनी ननद को देखकर बड़ी खुश हुईं। उन्होंने सोचा की उनकी अपनी ननद से खूब निभेगी, उनका मन लगा रहेगा, लेकिन कुछ ही समय में माँ पारवती अपनी ननद की हरकतों से परेशान होने लगी। असावरी देवी ने स्नान के बाद भोजन माँगा, माँ पारवती ने उन्हें खूब चाव से भोजन बना कर परोसा, लेकिन वह सब खा गयी और उन्होंने फिर से भोजन की मांग की, दोबारा भोजन देने से भी उनका पेट नहीं भरा और वह पार्वती जी के भंडार में जो कुछ भी था सब खा गईं , महादेव के लिए कुछ भी नहीं बचा।
फिर जब देवी पार्वती ने ननद को पहनने के लिए नए सुन्दर वस्त्र दिए तो असावरी देवी जो मोटी थी उनके लिए वह वस्त्र छोटे पड़ गए, पार्वती उनके लिए दूसरे वस्त्र का इंतजाम करने लगीं। असवारी देवी नित्य नए वस्त्र माँगने लगी। असवारी देवी शरारती भी बहुत थी और उनकी शरारत से दूसरे आफत में पड़ जाते थे। उन्होंने माँ पार्वती को परेशान करने का सोचा और ननद रानी ने मजाक में अपने पैरों की दरारों में माँ पार्वती जी को छुपा लिया। पार्वती जी का दम घुटने लगा, उन्होंने बाहर निकलने के लिए आवाज दी लेकिन असावरी देवी नहीं मानी और इधर उधर चलने लगी।
तभी भगवान भोलेनाथ आ गए और माँ पार्वती को ना देखकर उन्होंने जब असावरी देवी से पार्वती जी के बारे में पूछा तो असावरी देवी ने झूठ बोला की उन्हें नहीं मालूम । तब भगवान शिव समझ गए कि यह इसकी बदमाशी है उन्होंने असवारी देवी से पार्वती देवी के बारे में दोबारा पूछा तब असावरी देवी ने हंसने हुए जमीन पर पांव पटक दिया इससे पैर की दरारों में दबी देवी पार्वती बाहर आ गिरीं।
अपनी ननद के व्यवहार से देवी पार्वती क्रोधित हो गयी और उन्होंने महादेव से कहा कि मुझसे बड़ी भूल हुई जो मैंने आपकी बात नहीं मानी अब आप कृपया मेरी ननद को जल्दी से ससुराल भेज दे, इस पर भगवान शिव मुस्कुराये और उन्होंने असावरी देवी को कैलाश से विदा कर दिया।