Chaitra Navratri Festival 2018: रामनवमी का महत्व

रामनवमी एक बहुत ही धार्मिक और पारंपरिक हिन्दू त्यौहार है। इस त्यौहार को पुरे भारत में बहुत ही हर्ष और उल्लास के साथ हिन्दू लोग मनाते हैं। यह त्यौहार अयोध्या के राजा दशरथ और रानी कौशल्या के पुत्र श्री राम के जन्म दिवस की ख़ुशी में मनाया जाता है। चैत्र शुक्ल की नवमी तिथि को पुनर्वास नक्षत्र व कर्क लगन मे माता कौशल्या की कोख से भगवान श्री राम का जन्म हुआ था। यह दिन पुण्य त्योहार के रुप मे मनाया जाता हैं। इस दिन पुण्य सलिल सरयु नदी मे स्नान करके पुण्य लाभ कमाया जाता हैं। आइये जानते हैं रामनवमी के महत्व के बारे में।

# इसमें मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। कई लोग सात दिनों तक मां दुर्गा की पूजा अर्चना कर आठवें दिन छोटी कन्याओं को भोजन कराकर अपना उपवास तोड़ते हैं। साथ ही कई लोग आठ दिनों तक व्रत रखने के बाद नौवे दिन उपवास तोड़ते हैं। लोग राम नवमी के दिन ब्राहमणों को भी भोजन करवाते हैं। नौवे दिन को ही राम नवमी कहा जाता है।

# इस शुभ तिथि को भक्त लोग रामनवमी के रुप में मनाते हैं एवं पवित्र नदियों में स्नान करके पुण्य के भागीदार होते हैं। रामनवमी के त्यौहार का महत्व हिंदु धर्म सभ्यता में महत्वपूर्ण रहा है। इस पर्व के साथ ही माँ दुर्गा के नवरात्रों का समापन भी होता है। हिन्दू धर्म में रामनवमी के दिन पूजा की जाती है। रामनवमी की पूजा में पहले देवताओं पर जल, रोली और लेपन चढ़ाया जाता है, इसके बाद मूर्तियों पर मुट्ठी भरके चावल चढ़ाये जाते हैं। पूजा के बाद आरती की जाती है।

# यह भी कहा जाता है जिस प्रकार विष्णु जी, श्री राम के अवतार में पृथ्वी पर आये और उन्होंने धरती में पाप और असुरों का संहार किया उसी प्रकार रामनवमी का ब्रत करने वाले लोगों के जीवन का पाप भी दूर हो जाता है। इस दिन को स्वयं को पवित्र करने का त्यौहार भी माना जाता है।

# रामनवमी का त्यौहार की पूजा सबसे पहले सवेरे सूर्य देव को पानी चढ़ा कर शुरू होता है। कहा जाता है सूर्य देव, भगवान श्री राम के पूर्वज थे। उनकी पूजा की जाती है ताकि उनसे सर्वोच्च शक्ति का आशीर्वाद मिले।

# अयोध्या में रामनवमी बहुत धूमधाम से मनायी जाती है। इस दिन मेला लगता है। देश के कोने-कोने से लाखों श्रद्धालु इस मेले में पहुंचते हैं। यह त्रेता-युगीन सूर्यवंशीय नरेशों की राजधानी रही। पुरातात्विक दृष्टि से भी महत्त्व रखती है। रामनवमी के दिन भगवान राम के जन्मोत्सव के पावन पर्व पर देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु अयोध्या की सरयू नदी के तट पर सुबह से ही स्नान कर मंदिरों में दर्शन तथा पूजा करते हैं। इस दिन जगह-जगह पर संतों के प्रवचन, भजन, कीर्तन चलते रहते हैं।