करवा चौथ स्पेशल : करवा चौथ का महत्व, पूजा का मुहूर्त, चंद्रोदय का समय, जाने

भारत में हर साल कई त्योहार मनाए जाते हैं जिनका अपना अलग-अलग महत्व होता है। वैसे ही हिन्दू धर्म में शादीशुदा महिलाओं के लिए करवाचौथ का बहुत महत्व है। इस साल करवाचौथ 8 अक्टूबर को मनाया जाएगा। करवा चौथ का त्योहार विवाहित महिलाओं के लिए सबसे खास माना जाता है। इस दिन कुछ काम करने का विशेष महत्व होता है। यदि व्रत के साथ-साथ पूरी श्रद्धा और प्रेम से कुछ खास काम किए जाएं तो महिलाओं को उनके व्रत का फल जरूर मिलता है। करवा चौथ पति की लंबी आयु के लिए रखा जाने वाला व्रत है। तो आइये आज हम आपको बताते हैं इस व्रत का महत्व और कैसे इसे सफल बनाये।

करवा चौथ 2017 : पूजा मुहूर्त समय

करवा चौथ पूजा मुहूर्त : शाम 6:16 से 7:30 तक है

चंद्रोदय का समय शाम : 08:40 PM


# मान्यताओं के मुताबिक और छांदोग्य उपनिषद के अनुसार करवा चौथ के दिन व्रत रखने वाली चंद्रमा में पुरुष रूपी ब्रह्मा की उपासना करने से सारे पाप नष्ट हो जाते हैं। इससे जीवन के सभी तरह के कष्टों का निवारण तो होता ही है साथ ही लंबी उम्र भी प्राप्त होती है।

# सरगी करवा चौथ के व्रत का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा होती है। व्रत शुरू होने से पहले सास आपनी बहू को कुछ मिठाइयां और कपड़े और श्रृंगार का सामान देती हैं। करवा चौथ के दिन सूर्योदय होने से पहले सुबह लगभग चार बजे के आस-पास महिलाएं इस सरगी को खाकर अपने व्रत की शुरुवात करें। इसके बाद पूरा दिन पूरी श्रद्धा के साथ उपवास करें और चांद निकलने पर अपना व्रत खोलें।

# बता दें कि जिस तरह तरह सास का अपनी बहू को देती है उसी तरह बाया, मां और बेटी से जुड़ी रस्म है। हर करवा चौथ पर शाम को चौथ माता की पूजा शुरू होने से पहले हर मां अपनी बेटी के घर कुछ मिठाइयां, तोहफे और ड्राई फ्रूट्स भेजती है। इसे बाया कहा जाता है। ध्यान रखें बाया पूजा शुरू होने से पहले ही पहुंचाया जाना शुभ होता है।

# करवा चौथ में जितना महत्व व्रत और पूजा करने का होता है, उतना ही महत्व करवा चौथ की कथा सुनने का भी होता है।

# पूजा के समय ही करवा चौथ के गीत और भजन गाए जाते हैं, इनमें हिस्सा लेना भी कथा सुनने के जितना ही महत्वपूर्ण है। ऐसा करने से वातावरण शुद्ध होता है और पूजा का पूरा फल प्राप्त होता है।