क्यों पूजा जाता है कलश दीवाली पर, जाने

सभी धार्मिक कार्यों में कलश का बड़ा महत्व है। जैसे मांगलिक कार्यों का शुभारंभ, नया व्यापार, नववर्ष आरंभ, गृहप्रवेश, दिवाली पूजन, यज्ञ-अनुष्ठान, दुर्गा पूजा आदि के अवसर पर सबसे पहले कलश स्थापना की जाती है। धर्मशास्त्रों के अनुसार कलश को सुख-समृद्धि, वैभव और मंगल कामनाओं का प्रतीक माना गया है। कलश स्थापना के बिना दिवाली पूजा अधूरी मानी जाती है। जिस तरह पूजा करते समय रौली, पुष्प, फल का महत्व है उसी तरह पूजा में कलश की स्थापना का विशेष महत्व है। आइये जानते हैं कलश किस तरह दिवाली पूजा में अपना महत्व रखता हैं।

# कलश विश्व ब्रह्मांड, विराट ब्रह्मा एवं भू-पिंड यानी ग्लोब का प्रतीक माना गया है। इसमें सम्पूर्ण देवता समाए हुए हैं। दिवाली पूजन के दौरान कलश को देवी-देवता की शक्ति, तीर्थस्थान आदि का प्रतीक मानकर स्थापित किया जाता है।

# कलश के मुख में विष्णुजी का निवास, कंठ में रुद्र तथा मूल में ब्रह्मा स्थित हैं और कलश के मध्य में दैवीय मातृशक्तियां निवास करती हैं।

# पूजा के दौरान कलश को अमृत कलश के समान माना जाता है। समुद्र मंथन के दौरान जो कलश निकाला गया था माना जाता है पूजा में भी उसी अमृत कलश का इस्तेमाल किया जाता है। अलग-अलग पूजा में अलग-अलग तरीके से कलश रखा जाता है।

# कलश में भरा पवित्र जल इस बात का संकेत है कि हमारा मन भी जल की तरह हमेशा ही शीतल, स्वच्छ और निर्मल बना रहे। हमारा मन श्रद्धा, तरलता, संवेदना और सरलता से भरा रहे। यह क्रोध, लोभ, मोह-माया, ईष्या और घृणा जैसी कुत्सित भावनाओं से हमेशा दूर रहें।

# पूजा में कलश सोने, चांदी, मिट्टी और तांबे का रख सकते हैं। लेकिन ध्यान रखें कि लोहे का कलश पूजा में न रखें।

# धार्मिक मान्यताओं की मानें तो कलश में नारियल रखने से घर बीमारी दूर होती हैं। कहा जाता है कि कलश पर नारियल का मूंह ऊपर की तरफ राहु के लिए रखा जाता है।

# कलश के बिना पूजा अधूरी मानी जाती है। इसके अलावा इससे कर्ज से भी मुक्ति मिलती है। अखंड धन प्राप्ति के लिए लक्ष्मी कलश इसकी स्थापना की जाती है।