कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व आ चूका हैं और सभी तरफ इसकी तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं। इस समय में गुजरात के द्वारकाधीश मंदिर का माहौल भी भक्तों को बहुत रास आता हैं, क्योंकि हर तरफ कृष्ण की भक्ति होती रहती हैं। क्या अप जानते हैं कि द्वापर युग में द्वारकाधीश भगवान कृष्ण की राजधानी थी। कृष्ण जन्माष्टमी के पावन मौके पर ध्वजा पूजन का भी विशेष महत्व होता है। इसलिए आज हम आपको द्वारकाधीशजी के ध्वज से जुड़ी अनोखी बातें बताने जा रहे हैं। तो आइये जानते हैं।
द्वारकाधीशजी के मंदिर पर लगे ध्वज को कई किलोमीटर दूर से भी देखा जा सकता है। यह ध्वज 52 गज का होता है। 52 गज के ध्वज को लेकर यह यह कथा है कि द्वारका पर 56 प्रकार के यादवों ने शासन किया। इन सभी के अपने भवन थे। इनमें चार भगवान श्रीकृष्ण, बलराम, अनिरुद्धजी और प्रद्युमनजी देवरूप होने से इनके मंदिर बने हुए हैं और इनके मंदिर के शिखर पर अपने ध्वज लहराते हैं। बाकी 52 प्रकार के यादवों के प्रतीक के रूप में यह 52 गज का ध्वज द्वारकाधीशजी के मंदिर पर लहराता है। मंदिर में प्रवेश के लिए गोमती माता मंदिर के सामने से 56 सीढियां भी इसी का प्रतीक हैं।
मंदिर के ऊपर लगी ध्वजा पर सूर्य और चंद्रमा का प्रतीक चिह्न बना होता है। यह चिह्न इस बात का सूचक माना जाता है कि पृथ्वी पर सूर्य और चंद्रमा के मौजूद होने तक द्वारकाधीश का नाम रहेगा। सूर्य चंद्र श्रीकृष्ण के भी प्रतीक माने जाते हैं इसलिए उनके मंदिर के शिखर पर सूर्य चंद्र के चिह्न वाले ध्वज लहराते हैं।
द्वारकाधीशजी के मंदिर पर लगा ध्वज दिन में 3 बार सुबह, दोपहर और शाम को बदला जाता है। मंदिर पर ध्वजा चढाने-उताने और दक्षिणा पाने का अधिकार अबोटी ब्राह्मणों को प्राप्त है। हर बार अलग-अलग रंग का ध्वज मंदिर के ऊपर लगाया जाता है। यह ध्वज धर्म और आध्यात्मिकता का प्रतीक माना गया है। ध्वज उतारते और लगाते समय कुछ समय के लिए मंदर के शिखर से ध्वज गायब रहता है जिसे आप इस तस्वीर में देख सकते हैं।
ध्वज सात रंग का होता हैं। लाल रंग उत्साह, स्फूर्ति, पराक्रम, धनधान्य, विपुल संपत्ति, समृद्धि का प्रतीक है। हरा रंग आध्यात्मिक प्रेरणा का प्रतीक माना जाता है। यह शांति और दृष्टि को शीतलता देने वाला है। इसके साथ ही मनुष्य की सुख-शांति और आंखों की ज्योति बढ़ाने वाला है। पीला रंग ज्ञान, विद्या और बुद्धि का प्रतीक माना जाता है। नीला रंग नीला रंग बल और पौरुष का प्रतीक माना जाता है। सफेद रंग पवित्रता, शुद्धि और विद्या का प्रतीक माना जाता है। भगवा रंग शूरवीरत, साहस, निडरता और प्रगति का द्योतक माना जाता है। गुलाबी रंग मनुष्य के स्वभाव को गुलाब जैसा बनाने का सूचक है जो कोमल और आकर्षक होता यह कांटो के ऊपर भी मुस्कुराता है। मनुष्य को भी ऐसा ही होना चाहिए।