शिव के इस मंदिर के नाम है गिनीज बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड, जाने इसके पीछे की कहानी

सावन का महीना आते ही जगह जगह बम बम भोले के जयकारे सुनाई देते है। ऐसे में तमिलनाडू प्रान्त के कोयम्बटूर शहर का शिव मन्दिर बहुत खास है। कर्नाटक और तमिलनाडु की सीमा पर बसा शहर मुख्य रूप से एक औद्योगिक नगरी है। यह शहर रेल, सड़क और वायु मार्ग से अच्छी तरह पूरे भारत से जुड़ा है। दक्षिण भारत के मैनचेस्टर के नाम से प्रसिद्ध कोयंबटूर एक प्रमुख कपड़ा उत्पादन केंद्र है। आज हम आपको बतायेंगे यहाँ के के शिव की मन्दिर के बारे में तो आइये जानते है इस बारे में...

* कोयंबटूर से 30 किलोमीटर दूर स्थित आदियोग मंदिर शिव जी की 112 फुट ऊंची अर्धप्रतिमा के लिए दुनियाभर में फेमस है। यह भारत की पहली और इकलौती ऐसी प्रतिमा है, जोकि आधी बनी हुई है। अपनी ऊंचाई और अनोखी बनावट के कारण इस मूर्ति को 'गिनीज बुक ऑफ वर्ल्‍ड रिकॉर्ड्स' में भी शामिल किया गया है।

* इस खूबसूरत प्रतिमा में आपको शिव के आदियोगी स्‍वरूप के दर्शन होती है। काले रंग की इस प्रतिमा को देखने के लिए पर्यटक देश-विदेश से आते हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि इस मूर्ति का वजन 500 टन है, जोकि भारत में किसी भी मूर्ति का नहीं है।

* भगवान शिव की इस प्रतिमा को मिट्टी की जगह स्‍टील के छोटे-छोटे टुकड़ों जोड़कर बनाया गया है। इस प्रतिमा में भगवान शिव का केवल चेहरा बनाने में ही कारीगरों को ढाई साल लग गए थे।


* भगवान शिव की यह प्रतिमा 112 फीट उंची, 24। 99 मीटर चौड़ी और 147 फुट लंबी है। शिव मूर्ती के सामने बने नंदी को तील के बीज, हल्‍दी, भष्‍म और मिट्टी से बनाया गया है, जोकि इस मंदिर की खूबसूरती में चार-चांद लगाती है।