आज रखा जाएगा एकादशी का व्रत, जानें क्या करें और क्या नहीं

हर माह शुक्ल और कृष्ण पक्ष में एकादशी का व्रत रखा जाता हैं। आज भाद्रपद शुक्ल एकादशी हैं जिसे परिवर्तिनी एकादशी, पद्मा एकादशी और डोल ग्यारस के नाम से भी जान जाता हैं। एक एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित होती हैं जिसमें इनके वामन रूप की पूजा की जाती हैं। आज के दिन रखा गया व्रत ग्रहों के असर को काफी हद तक कम करने का काम करता हैं। एकादशी व्रत का सीधा प्रभाव मन और शरीर, दोनों पर पड़ता है। ऐसे में जरूरी हैं कि एकादशी का व्रत पूर्ण नियमों के साथ किया जाए। आज इस कड़ी में हम आपको बताने जा रहे हैं कि इस दिन आपको कौनसे काम करने चाहिए और कौनसे नहीं। आइये जानें...

एकादशी व्रत के दिन क्या करें

- रात्रि को पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए तथा भोग-विलास से दूर रहना चाहिए।
- यदि यह संभव न हो तो पानी से बारह बार कुल्ले कर लें। फिर स्नानादि कर मंदिर में जाकर गीता पाठ करें या पुरोहितजी से गीता पाठ का श्रवण करें।
- भगवान विष्णु का स्मरण कर प्रार्थना करें और कहे कि- हे त्रिलोकीनाथ! मेरी लाज आपके हाथ है, अत: मुझे इस प्रण को पूरा करने की शक्ति प्रदान करना।
- वैष्णवों को योग्य द्वादशी मिली हुई एकादशी का व्रत करना चाहिए। त्रयोदशी आने से पूर्व व्रत का पारण करें।
- केला, आम, अंगूर, बादाम, पिस्ता इत्यादि अमृत फलों का सेवन करें।
- प्रत्येक वस्तु प्रभु को भोग लगाकर तथा तुलसीदल छोड़कर ग्रहण करना चाहिए।
- द्वादशी के दिन ब्राह्मणों को मिष्ठान्न, दक्षिणा देना चाहिए।
- पीपल के पेड़ की जल में जल अर्पित करना चाहिए। इसके साथ ही वृक्ष की विधिवत पूजा करनी चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से धन-धान्य में वृद्धि होती है व कर्ज से मुक्ति मिलती है।
- इस दिन जल दान करना अति उत्तम माना जाता है। आप अपनी सामर्थ्यनुसार जल वितरण या कहीं प्याऊ भी लगवा सकते हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से पितृदोष दूर होता है।

एकादशी के दिन क्या न करें

- एकादशी का व्रत-उपवास करने वालों को दशमी के दिन मांस, लहसुन, प्याज, मसूर की दाल आदि निषेध वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए।
- एकादशी के दिन व्रतधारी व्यक्ति को गाजर, शलजम, गोभी, पालक, इत्यादि का सेवन नहीं करना चाहिए।
- एकादशी के एक दिन पहले ही सूर्यास्त से पहले घर पर झाड़ू लगा करके सफाई कर लें, क्योंकि एकादशी पर झाड़ू नहीं लगाना चाहिए। ऐसा करने से गलती से हमसे चींटी और सूक्ष्म जीव मर जाते हैं और इससे पाप लगता है। इसलिए एकादशी के दिन झाड़ू ना लगाएं।
- इस दिन बाल नहीं कटवाना चाहिए।
- अधिक नहीं बोलना चाहिए। अधिक बोलने से मुख से न बोलने वाले शब्द भी निकल जाते हैं।
- इस दिन यथा‍शक्ति दान करना चाहिए। किंतु स्वयं किसी का दिया हुआ अन्न आदि कदापि ग्रहण न करें। दशमी के साथ मिली हुई एकादशी वृद्ध मानी जाती है।
- एकादशी के दिन क्रोध न करते हुए मधुर वचन बोलना चाहिए।
- यदि भूलवश किसी निंदक से बात कर भी ली तो भगवान सूर्यनारायण के दर्शन कर धूप-दीप से श्री‍हरि की पूजा कर क्षमा मांग लेना चाहिए।
- एकादशी के दिन प्रात: लकड़ी का दातुन न करें, नींबू, जामुन या आम के पत्ते लेकर चबा लें और अंगुली से कंठ साफ कर लें, वृक्ष से पत्ता तोड़ना भी वर्जित है। अत: स्वयं गिरा हुआ पत्ता लेकर सेवन करें।
- एकादशी तिथि में पेड़-पौधों के फूल एवं पत्ते नहीं तोड़ने चाहिए। विष्णुजी की पूजा में तुलसी पत्ता चढ़ाना है तो उसे एक दिन पहले ही तोड़कर रख लेना चाहिए।
- एकादशी के दिन किसी की बुराई न करें और गलती से भी गरीब एवं उम्र में बड़े लोगों का अपमान न करें और न ही झूठ बोलें।
- एकादशी व्रत में रात को सोना भी नहीं चाहिए। पूरी रात जागकर भगवान विष्णुजी का भजन-कीर्तन करना चाहिए। इससे भगवान विष्णु की कृपा मिलती है।
- एकादशी के दिन भूलकर भी चावल नहीं खाने चाहिए। विष्णु पुराण के अनुसार एकादशी पर चावल खाने से पुण्य फल नष्ट हो जाते है। क्योंकि चावल को हविष्य अन्न कहा गया है, यानी ये देवताओं का भोजन है।
- एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा में मीठा पान चढ़ाया जाता है इसलिए इस दिन पान खाना भी वर्जित है।