दान करें लेकिन इन 5 चीजों का नहीं, जीवन में होगा दुर्भाग्य का आगमन

किसी भी धर्म में दान करने का बहुत महत्व माना गया हैं। लेकिन यह भी जानना जरूरी हैं कि दान उसे ही करना चाहिए जिसे जरूरत हो अन्यथा दान की गई वस्तु का कोई मोल नहीं रह जाता हैं। दान-पुण्य करना भगवान की भक्ति करने समान हैं जिससे ईश्वर का आशीर्वाद मिलता हैं और जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है। लेकिन यह ध्यान रखना भी जरूरी हैं कि आप किन चीजों का दान कर रहे हैं। क्योंकि शास्त्रों में ऐसी कई चीजें बताई गई हैं जिनका दान जीवन में दुर्भाग्य और कंगाली लेकर आता हैं। तो आइये जानते हैं किन चीजों का दान नहीं किया जाना चाहिए।

नाराज हो जाती हैं लक्ष्मी माता

मान्यताओं के अनुसार, झाड़ू अलक्ष्मी को दूर करने वाला है और देवी लक्ष्मी को घर में लाने वाला है। इसलिए बहुत से लोग धनतेरस के अवसर पर झाड़ू भी खरीदते हैं। कहा जाता है कि धन समृद्धि के लिए झाड़ू को ऐसी जगह पर रखना चाहिए जहां आने-जाने वाले की नजर ना जाए। जहां तक दान की बात है तो दान स्वरूप कभी भी किसी को झाड़ू का दान नहीं देना चाहिए। ऐसी लोक मान्यता है कि इससे बरकत चली जाती यानी लक्ष्मी रूठ जाती हैं।

लक्ष्मी प्रतिमा का दान

धर्मग्रंथों में धन की देवी, ऐश्वर्य की देवी माता लक्ष्मी को कहा गया है। सभी चाहते हैं कि देवी लक्ष्मी उनके घर में निवास करें। इसलिए देवी लक्ष्मी की पूजा के बाद कभी भी यह नहीं कहा जाता कि ‘स्वस्थानं गच्छ’ यानी अपने स्थान को जाएं, बल्कि कहा जाता है ‘मयि रमस्व’ यानी यहीं बने रहिए। इसलिए देवी लक्ष्मी की प्रतिमा का दान भी नहीं करना चाहिए। बहुत से लोग चांदी के सिक्के पर अंकित लक्ष्मी गणेश का दान करते हैं वह भी अच्छा नहीं है। यह एक तरह से अपनी लक्ष्मी को विदा करने जैसा है। आप अन्य अंकित तस्वीरों वाल सिक्का दान कर सकते हैं।

होती है धन की समस्या

जिन लोगों की कुंडली में गुरु सप्तम स्थान में है उन्हें नवीन वस्त्रों का दान स्वयं अपने हाथों से नहीं देना चाहिए। लाल किताब में बताया गया है कि इससे स्वयं नवीन वस्त्रों का सुख प्रभावित हो जाता है। वैसे जरूरतमंदों को अपने वस्त्र दान देना अच्छा माना गया है। इससे शनि का अशुभ प्रभाव दूर होता है। कहते हैं इससे शरीर निरोग होता है। कुछ लोग तो इसी मान्यता की वजह से अपने पहने हुए वस्त्र दान भी करते हैं, इसे टोटके के तौर पर भी आजमाया जाता है।

ऐसा भोजन दान देने वाले अशुभ परिणाम पाते हैं

भूखे को भोजन दान देना उत्तम माना गया है। धर्मग्रंथों में कहा गया है कि अन्न दान से बड़ा कोई दान नहीं है। इससे देवता अति प्रसन्न होते हैं। लेकिन कुछ लोग भूखे लोगों के सामने दान स्वरूप बासी और अरुचिकर भोजन रख देते हैं। ऐसा दान करना पुण्य नहीं पाप को बढ़ता है। ऐसे लोगों के घर देवी लक्ष्मी अधिक समय तक नहीे रहती हैं क्योंकि यह भूखे व्यक्ति और देवी अन्नपूर्णा का भी अपमान मान गया है।

धार्मिक पुस्तकों का दान भी पाप बढाता है

गीता में बताया गया है कि ऐसे व्यक्ति को गीता का ज्ञान मत दो जिसकी इसमें अरुचि हो या सुनने की इच्छा ना रखता हो। इसी प्रकार धार्मिक पुस्तकों का दान भी ऐसे लोगों को नहीं देना चाहिए जिनकी धर्म में रुचि ना हो। नास्तिक व्यक्ति को ऐसे पुस्तकों का दान देंगे तो वह उससे ज्ञान लेने की बजाय अपमान पूर्वक कहीं रख देगा। इससे पुण्य की बजाय आपका पाप बढ़ेगा। इसलिए धर्म और उन्नति की कामना रखने वाले को धार्मिक पुस्तकों का दान किसी धार्मिक व्यक्ति को ही देना चाहिए।