आज महाशिवरात्रि अर्थात भोले भंडारी का पर्व हैं। जिसमें भक्त अपने इष्ट भगवान शिव को प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं और अपनी मनोकामना पूर्ण होने कि वंदना करते हैं। लेकिन कुछ काम ऐसे भी हैं जिनको महाशिवरात्रि के दिन करने से बचना चाहिए। ये काम करने से भगवान शिव जल्दी नाराज भी हो जाते हैं। इसलिए शिवरात्रि के दिन और पूजा में कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना जरूरी है। तो आइये जनते हैं उन कामों के बारे में जो महाशिवरात्रि पर भूल कर भी न करें।
* काले रंग के कपड़े ना पहनें : महाशिवरात्रि का त्योहार शिवभक्तों के लिए बहुत महत्व रखता है। लेकिन भूलवश शिव जी को प्रसन्न के लिए ऐसी कुछ गलतियां कर देते हैं जिससे उनकी पूजा पूरी नहीं हो पाती है। पहली बात, शिवरात्रि के दिन भगवान शिव को यदि प्रसन्न करना चाहते हैं तो इस दिन काले रंग के कपड़े ना पहनें। कहा जाता है की भगवान शिव को काला रंग पसन्द नहीं है, जिसके कारण इस दिन काले कपड़े नहीं पहनने चाहिए।
* साफ़-सुथरे रहें : सबसे जरूरी और ध्यान में रखने की बात है कि अगर शिवरात्रि का उपवास रख रहे हैं तो आपको सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लेना चाहिए और गर्म पानी से शरीर की सारी अशुद्धि दूर करनी चाहिए। नए वस्त्र पहनना जरूरी नहीं है लेकिन साफ-सुथरे कपड़े ही पहनें।
* इन आहारों से दूर रहें : शिवरात्रि पर चावल, दाल और गेहूं से बने खाद्य पदार्थों से दूर रहना चाहिए। भक्तजनों को फल, दूध, चाय, कॉफी इत्यादि का सेवन करना चाहिए।
* भगवान भोलेनाथ को ये भी पसंद नहीं : भगवान शिव की पूजा में भूलकर भी टूटे हुए चावल नहीं चढ़ाया जाना चाहिए। शिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर नारियल का पानी नहीं चढ़ाना चाहिए। शिव प्रतिमा पर नारियल चढ़ा सकते हैं, लेकिन नारियल का पानी नहीं। हल्दी और कुमकुम उत्पत्ति के प्रतीक हैं, इसलिए पूजन में इनका प्रयोग नहीं करना चाहिए। बिल्व पत्र के तीनों पत्ते पूरे होने चाहिएं, खंडित पत्र कभी न चढ़ाएं। चावल सफेद रंग के साबुत होने चाहिएं, टूटे हुए चावलों का पूजा में निषेध है। फूल बासी एवं मुरझाए हुए न हों।
* शिवलिंग पर चढ़ा पप्रसाद न ग्रहण करें : ऐसी मान्यता है कि भक्तजनों को शिवलिंग पर चढ़ाए जाने वाले प्रसाद को ग्रहण नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे दुर्भाग्य आता है। ऐसा करने से धन हानि और बीमारियां भी हो सकती हैं।
* टूटे ही चावल : भगवान शिव की पूजा में भूलकर भी टूटे हुए चावल नहीं चढ़ाया जाना चाहिए। अक्षत का मतलब होता है अटूट चावल, यह पूर्णता का प्रतीक है। इसलिए शिव जी को अक्षत चढ़ाते समय यह देख लें कि चावल टूटे हुए तो नहीं है।