दिवाली स्पेशल : आज के दिन जरूर करें ये 10 काम, होगा माँ लक्ष्मी का घर में आगमन

दिवाली का त्योहार पूरे भारतवर्ष में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता हैं। यह पर्व हर साल कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता हैं। इस बार यह त्योहार 7 नवम्बर, बुधवार को मनाया जा रहा हैं। माना जाता है की इस दिन की गई पूजा माँ लक्ष्मी को प्रसन्न करती हैं और उनका आशीर्वाद दिलाती हैं। इसलिए आज हम आपके लिए दिवाली के दिन किये जाने वाले जरूरी काम लेकर आए हैं, जिनको करने से माँ लक्ष्मी का घर में आगमन में होता हैं और उनकी कृप प्राप्ति होती हैं। तो आइये जानते है इन कामों के बारे में।

* लिपाई-पुताई

वर्षा के कारण गंदगी होने के बाद संपूर्ण घर की सफाई और लिपाई-पुताई करना जरूरी होता है। मान्यता के अनुसार जहां ज्यादा साफ-सफाई और साफ-सुथरे लोग नजर आते हैं, वहीं लक्ष्मी निवास करती हैं।

* वंदनवार

आम या पीपल के नए कोमल पत्तों की माला को वंदनवार कहा जाता है। इसे अकसर दीपावली के दिन द्वार पर बांधा जाता है। वंदनवार इस बात का प्रतीक है कि देवगण इन पत्तों की भीनी-भीनी सुगंध से आकर्षित होकर घर में प्रवेश करते हैं।

* रंगोली

रंगोली या मांडना को 'चौंसठ कलाओं' में स्थान प्राप्त है। उत्सव-पर्व तथा अनेकानेक मांगलिक अवसरों पर रंगोली से घर-आंगन को खूबसूरती के साथ अलंकृत किया जाता है। इससे घर-परिवार में मंगल रहता है।

* दीपक

पारंपरिक दीपक मिट्टी का ही होता है। इसमें 5 तत्व हैं- मिट्टी, आकाश, जल, अग्नि और वायु। हिन्दू अनुष्ठान में पंच तत्वों की उपस्थिति अनिवार्य होती है।

* चांदी का ठोस हाथी

विष्णु तथा लक्ष्मी को हाथी प्रिय रहा है इसीलिए घर में ठोस चांदी या सोने का हाथी रखना चाहिए। ठोस चांदी के हाथी के घर में रखे होने से शांति रहती है और यह राहू के किसी भी प्रकार के बुरे प्रभाव को होने से रोकता है।

* कौड़ियां

पीली कौड़ी को देवी लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है। कुछ सफेद कौड़ियों को केसर या हल्दी के घोल में भिगोकर उसे लाल कपड़े में बांधकर घर में स्थित तिजोरी में रखें। ये कौड़ियां धनलक्ष्मी को आकर्षित करती हैं।

* चांदी की गढ़वी

चांदी का एक छोटा-सा घड़ा, जिसमें 10-12 तांबे, चांदी, पीतल या कांसे के सिक्के रख सकते हैं, उसे गढ़वी कहते हैं। इसे घर की तिजोरी या किसी सुरक्षित स्थान पर रखने से धन और समृद्धि बढ़ती है। दीपावली पूजन में इसकी भी पूजा होती है।

* मंगल कलश

एक कांस्य या ताम्र कलश में जल भरकर उसमें कुछ आम के पत्ते डालकर उसके मुख पर नारियल रखा होता है। कलश पर रोली, स्वस्तिक का चिन्ह बनाकर उसके गले पर मौली बांधी जाती है।

* पूजा-आराधना

दीपावली पूजा की शुरुआत धन्वंतरि पूजा से होती है। दूसरा दिन यम, कृष्ण और काली की पूजा होती है। तीसरे दिन लक्ष्मी माता के साथ गणेशजी की पूजा होती है। चौथे दिन गोवर्धन पूजा होती है और अंत में पांचवें दिन भाईदूज या यम द्वीतिया मनाई जाती है।

* मजेदार पकवान

दीपावली के 5 दिनी उत्सव के दौरान पारंपरिक व्यंजन और मिठाई बनाई जाती है। हर प्रांत में अलग-अलग पकवान बनते हैं। उत्तर भारत में ज्यादातर गुझिये, शकरपारे, चटपटा पोहा चिवड़ा, चकली आदि बनाते हैं।