वास्तु में बड़ा महत्व रखती हैं दिशाएं, जानें कहां रखें कौनसा सामान

हर व्यक्ति चाहता हैं कि उसके जीवन में सुख-शांति बनी रहे और परेशानियों से दूरी बनी रहे। इसके लिए व्यक्ति अपने घर को भी वास्तु सांगत बनाने की कोशिश करता हैं ताकि वास्तुदोष का संकट उत्पन्न नहीं हो। लेकिन वास्तुसंगत घर बनाने के साथ ही आपको वास्तु से जुड़ी कई अन्य बातों का ध्यान भी रखना पड़ता हैं। वास्तु में दिशाओं का बड़ा महत्व माना गया हैं और बताया गया हैं कि किस दिशा में कौनसा सामान रखना उचित रहता हैं। तो आइये जानते हैं इसके बारे में।

- पूर्व दिशा के स्वामी सूर्य, देवता इंद्र होते हैं। पितृस्थान की प्रतिक यह दिशा खुली होना चाहिए।

- पश्चिम दिशा के देवता वरूण और ग्रह स्वामी शनि है। यह दिशा भी वास्तु नियमों के अनुसार होना चाहिए।

- उत्तर दिशा के देवता कुबेर और ग्रह स्वामी बुध है। यह माता का स्थान है। इसी दिशा को खाली रखना जरूरी है।

- दक्षिणी दिशा काल पुरुष का बायां सीना, किडनी, बाया फेफड़ा, आतें हैं एवं कुंडली का दशम घर है। यम के आधिपत्य एवं मंगल ग्रह के पराक्रम वाली दक्षिण दिशा पृथ्वी तत्व की प्रधानता वाली दिशा है। यह स्थान भी भारी होना चाहिए।

- ईशान कोण जल एवं भगवान शिव का स्थान है और गुरु ग्रह इस दिशा के स्वामी है। ईशान कोण में पूजा घर, मटका, कुंवा, बोरिंग वाटरटैंक अदि का स्थान बान सकते हैं।

- आग्नेय कोण अग्नि एवं मंगल का स्थान है और शुक्र ग्रह इस दिशा के स्वामी है। आग्नेय कोण को रसोई या इलैक्ट्रॉनिक उपकरण आदि का स्थान बना सकते हैं।

- वायव्य कोण में वायु का स्थान है और इस दिशा के स्वामी ग्रह चंद्र है। वायव्य कोण को खिड़की, उजालदान आदि का स्थान बना सकते हैं। यहां गेस्ट रूम भी बना सकते हैं।

- नैऋत्य कोण पृथ्‍वी तत्व का स्थान है और इस दिशा के स्वामी राहु और केतु है। नैऋत्य को ऊंचा और भारी रखना चाहिए। वैसे टीवी, रेडियो, सी।डी। प्लेयर अथवा खेलकूद का सामान यहां रख सकते हैं। नैऋत्य और दक्षिण में अलमारी, सोफा, मेज, भारी सामान तथा सुरक्षित रखे जाने वाले सामान रख सकते हैं।