दिवाली से दो दिन पहले धनतेरस आता है। इस बार ये त्योहार 13 नवंबर को शुक्रवार के दिन मनाया जाएगा। इस दिन सोना, चांदी और पीतल के बर्तन खरीदने की परंपरा रही है लेकिन इसके साथ ही इस दिन झाड़ू खरीदना भी शुभ माना जाता है। ऐसे में आइए जानते है कि धनतेरस के दिन झाड़ू क्यों खरीदी जाती है?
झाड़ू को माता लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है। मान्यता है कि धनतेरस के दिन झाड़ू खरीदने से घर में मां लक्ष्मी का वास होता है। अगर आप आर्थिक तंगी से परेशान है तो धनतेरस के दिन झाड़ू जरूर खरीदें। झाड़ू को घर में सुख समृद्धि का कारक भी माना जाता है। इसलिए धनतेरस के दिन झाड़ू खरीदना शुभ माना जाता है।
माना जाता है कि झाड़ू से नकारात्मक शक्तियां दूर होती हैं और घर में सकारात्मकता का संचार होता है। मान्यता है कि धनतेरस के दिन घर में नई झाड़ू लाने के बाद इस पर एक सफेद रंग का धागा बांध देना चाहिए। इससे मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है और घर की आर्थिक स्थिति में स्थिरता आती है।
धनतेरस के दिन जब भी झाड़ू खरीद कर लाएं तो उसे फर्श पर लिटाकर रखें। झाड़ू को खड़ा रखना अपशकुन माना जाता है। कभी भी घर में उलटी झाड़ू नहीं रखनी चाहिए। कहते हैं इससे घर में कलह बढ़ती है। झाड़ू को हमेशा घर के कोने में छिपाकर रखा जाता है।
झाड़ू पर पैर नहीं रखना चाहिए। माना जाता है कि ऐसा करने से लक्ष्मी मां रुष्ट हो जाती हैं। माना जाता है कि झाड़ू का आदर करने पर महालक्ष्मी प्रसन्न होती हैं।
झाड़ू को कभी भी घर से बाहर या फिर छत पर नहीं रखना चाहिए। कहा जाता है कि ऐसा करने से घर में चोरी होने का भय उत्पन्न होता है।
दिवाली (Diwali) के दिन मंदिर में झाड़ू दान करने की भी परंपरा है। कहा जाता है कि इस दिन झाड़ू दान करने से घर में लक्ष्मी आती हैं। हालांकि दिवाली के दिन दान की जाने वाली झाड़ू धनतेरस के दिन ही खरीद ली जानी चाहिए।