छठ पर्व 2018: आज डूबते सूर्य को पहला अर्घ्य देंगे छठ व्रती, जानिए शुभ मुहूर्त

लोक आस्था के महापर्व छठ के तीसरे दिन यानि मंगलवार शाम को व्रती अस्ताचलगामी सूर्य को पहला अर्घ्य देंगे। छठ पूजा (Chhath Puja) का यह अर्घ्य सभी व्रति शाम को घाट, नदी के किनारे या तालाब में जाकर देंगे। इस दौरान सभी व्रती अपने सिर पर दउरा या दौरा (छठी मइया के प्रसाद से भरी बांस की टोकरी) को रख शाम को सूर्य देवता को छठ का पहला अर्घ्य देंगे। 13 नवंबर शाम को पहले अर्घ्य के बाद 14 नवंबर सुबह दूसरा अर्घ्य दिया जाएगा। इस अर्घ्य की सिर्फ धार्मिक मान्यताएं की नहीं बल्कि विज्ञान में भी इसके कई फायदों के बारे में बताया गया है। इससे पहले व्रतियों ने सोमवार को सूर्य के ढलने के बाद प्रसाद के लिए मिट्टी के चूल्हे पर आम की लकड़ियां से गुड़ व चावल की खीर (रसियाव) व रोटियां बनाई। जितने सूप से अर्घ्य दिया जाता है उतनी जगह रसियाव व रोटी केले के पत्ते पर स्वच्छ स्थान पर रखकर विधिवत पूजा अर्चना की।

शाम के अर्घ्य के दौरान सभी लोग परिवार सहित इकट्ठा होकर एक-साथ पूजा के लिए निकलेंगे। इस दौरान व्रती अपने सिर पर ठेकुआ और नारियल, गन्ना, लोटा, लाल सिंदूर, धूप, बड़ा दीपक, चावल, थाली, दूध, गिलास, अदरक और कच्ची हल्दी, केला, सेब, सिंघाड़ा, नाशपाती, मूली, आम के पत्ते, शकरगंदी, सुथनी, मीठा नींबू (टाब), मिठाई, शहद, पान, सुपारी, कैराव, कपूर, कुमकुम और चंदन से भरी टोकरी को रख घाट पर ले जाकर सूर्य देव को पहला अर्घ्य देंगे।

बता दें, दिपावली के छठे दिन यानी कार्तिक शुक्ल की षष्ठी को छठ पर्व मनाया जाता है। छठी मइया की पूजा (Chhathi Maiya Ki Puja) की शुरुआत चतुर्थी को नहाए-खाय से होती है। इसके अगले दिन खरना या लोहंडा (इसमें प्रसाद में गन्ने के रस से बनी खीर दी जाती है)। षष्ठी (13 नवंबर) को शाम और सप्तमी (14 नवंबर) सुबह को सूर्य देव को अर्घ्य देकर छठ पूजा की समाप्ति की जाती है। इस बार छठ पूजा 11 से 14 नवंबर तक है।

यह पर्व पूर्वी उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, पश्चिम बंगाल और नेपाल में भी छठी मइया को पूजा जाता है। छठ पूजा के दिन घर के लगभग सभी सदस्य (बच्चों और बुजुर्गों को छोड़कर) व्रत रखते हैं। भोजपुरी (Bhojpuri Songs) के प्रसिद्ध छठ मइया के गीत (Chhath Maiya Geet) सुने जाते हैं। मान्यता है कि छठ का व्रत (Chhath Vrat) रखने से संतान की प्राप्ति होती है और बच्चों से जुड़े कष्टों का निवारण होता है। इसी के माना जाता है कि छठी मइया का व्रत (Chhathi Maiya Vrat) रखने से सूर्य भगवान (Surya Bhagwan) की कृपा बरसती है। यह पर्व सुबह और शाम के अर्घ्य के साथ 14 नवंबर तक चलने वाला है। जबकि छठ पूजा (Chhath Puja) में सूर्य को पहला अर्घ्य 13 नवंबर को दिया जाएगा।

यहां जानिए 13 नवंबर को पहले अर्घ्य किस समय दिया जाएगा।

सूर्य ढलने का समय (पहला अर्घ्य)
13 नवंबर सूर्य ढलने का समय - शाम 05:42

सूर्य उगने का समय (दूसरा अर्घ्य)
14 नवंबर सूर्य उगने का समय - सुबह 06:39

छठ पूजा की सामग्री (Chhath Puja Samagri)


पहनने के लिए नए कपड़े, दो से तीन बड़ी बांस से टोकरी, सूप, पानी वाला नारियल, गन्ना, लोटा, लाल सिंदूर, धूप, बड़ा दीपक, चावल, थाली, दूध, गिलास, अदरक और कच्ची हल्दी, केला, सेब, सिंघाड़ा, नाशपाती, मूली, आम के पत्ते, शकरगंदी, सुथनी, मीठा नींबू (टाब), मिठाई, शहद, पान, सुपारी, कैराव, कपूर, कुमकुम और चंदन।