कृष्ण जन्माष्टमी : अपनी मनोकामना के अनुसार करें विशेष मंत्रों का जाप

भाद्रपद कृष्ण अष्टमी का दिन भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता हैं जो कि इस बार 12 अगस्त को पड़ रहा हैं। आज के दिन भक्तगण भगवान कृष्ण की भक्ति कर उन्हें प्रसन्न करते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। ऐसे में आज के दिन हम आपको विशेष मंत्रों की जानकारी और उनके जप की विधि बताने जा रहे हैं जो आपकी मनोकामना को पूर्ण करने का काम करेंगे। तो आइए जानते हैं कौन से हैं ये मंत्र और क्‍या हैं इनके जप के नियम।

कन्‍हैया दर्शन के लिए

‘कच्चित्तुलसि कल्याणि गोविन्दचरणप्रिये। सह त्वालिकुलैर्बिभ्रद् दृष्टस्तेअतिप्रियोअच्युतः।’श्रीमद्भागवत में बताया गया है कि इस मंत्र के जप से भगवान श्रीकृष्ण के दर्शन प्राप्त किए जा सकते हैं। इसके लिए विधि यह है कि तुलसी की कलम से इस मंत्र को एक कागज पर लिख लें। इस मंत्र की नित्य विधिवत पूजा करें और 32000 मंत्र जप करें। इस विधि-विधान के दौरान सत्य-धर्म और ब्रह्मचर्य का पालन करना जरूरी है।

मनोकामना पूर्ती के लिए

‘ओम ऐं ह्रीं श्रीं नमो भगवते राधाप्रियाय राधारमणाय गोपीजनवल्लभाय ममाभीष्टं पूरय पूरय हुं फट् स्वाहा।’ अपनी सभी तरह की मनोकामना पूर्ति के लिए अष्टगंध, केसर और कपूर मिलाकर एक तख्ती पर अनार की लकड़ी से यह मंत्र लिखें। नियमित इस मंत्र की पूजा करें। इसके बाद 18000 बार इस मंत्र का जप करें। जब कुल सवा लाख मंत्र जप पूरा हो जाए तो फिर साढ़े बारह हजार बार मंत्र को जप करके हवन करना चाहिए। इस विधि से मंत्र जप करने पर श्रीकृष्ण मनुष्य की भोग और मोक्ष की कामना पूरी करते हैं।

धन-वैभव और मोक्ष प्राप्ति के लिए

‘श्रीं ह्रीं क्लीं कृष्णाय नमः’ देवीभागवत के इस मंत्र को कल्पवृक्ष स्वरूप माना गया है। कहते हैं जैसे कल्पवृक्ष से जो मांगो वह मिल जाता है। उसी प्रकार इस मंत्र का नियमित 11 माला जप करने वाले व्यक्ति की श्रीकृष्ण धन, वैभव एवं सांसारिक कामना पूर्ण करते हैं। वहीं ‘ओम कृष्णाय वद्महे दामोगराय धीमहि तन्नः कृष्ण प्रचोदयात्।’ मंत्र के नियमित जप से आत्मा पर जमा कर्मों का मैल साफ होता है और मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

प्रेम प्राप्ति के लिए

‘ओम प्रेमधनरूपिण्यै प्रेमप्रदायिन्यै श्रीराधायै स्वाहा।’ भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव पर जीवन में प्रेम की प्राप्ति के लिए भगवान श्रीकृष्ण की प्रेयसी और भगवान की मूल शक्ति देवी राधाजी का ध्यान करना चाहिए। इस मंत्र की जप संख्या 1 लाख है। इस मंत्र के जप से जीवन में प्रेम, करुणा और भक्ति का संचार होता है। वैवाहिक जीवन सुखमय होता है। वहीं अगर क‍िसी का प्रेम अधूरा हो तो वह पूरा हो जाता है।