चाणक्‍य नीति में बताई गई इन 7 चीजों के कभी ना लगाए पैर, लाता हैं बुरा समय

बुजुर्गो की दी गई सीख हमेशा काम आती हैं। आपने कई बार घर के बुजुर्गों को घर की चीजों के पैर नहीं लगाने के लिए रोकटोक करते देखा होगा। बच्चों को कई बार इसमें गुस्सा भी आ जाता हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि चाणक्‍य नीति में भी इसका वर्णन किया गया हैं और कुछ ऐसी चीजों के बारे में बताया गया हैं जिनके कभी पैर नहीं लगाया जाना चाहिए। पैर लगाने से व्यक्ति न केवल सामने वाले का अपमान होता है बल्कि पाप का भागीदार बन जाता है। इस अपराध को भगवान भी माफ नहीं करते और आने वाली पीढ़ियों को भी इसका दोष लगता हैं। तो आइए जानते हैं कि आचार्य चाणक्य ने किन चीजों के बारे में बताया है जिनके पैर नही लगाना चाहिए।

बड़े-बुजुर्ग

चाणक्य नीति के अनुसार घर के बड़े-बुजुर्गों का हमेशा सम्मान करना चाहिए। जो व्यक्ति बुजुर्गों का अपमान करता है उस व्यक्ति के सभी ग्रह रूष्ट हो जाते हैं और अशुभ फल मिलने लगते हैं। कहा जाता है जिस घर में बड़ों का आदर नहीं होता उस घर में सुख समृद्धि कभी नहीं होती।

अग्नि

अग्नि को धार्मिक मान्‍यताओं में भगवान का दर्जा दिया गया है। कहते हैं कोई भी शुभ कार्य करने से पहले अग्नि का होना जरूरी माना गया है। हिंदू धर्म में हर कार्य के शुभांभ से पहले दीपक या फिर हवन के रूप में अग्नि प्रज्‍ज्‍वलित की जाती है। इसलिए अग्नि को पैर लगाना पाप के समान माना गया है। अग्नि का अपमान देवता का अपमान माना जाता है। इसलिए इसे पैर नहीं लगाना चाहिए, अगर गलती से इसे पैर लग भी जाए तो तुरंत क्षमा अग्नि देव से मांग लेनी चाहिए।

ब्राह्मण


समाज में ब्राह्मण का दर्जा बहुत उच्च कोटी का माना जाता है। इन्हें भी देवता का दर्जा प्राप्त है। प्रत्येक शुभ कार्य में ब्राम्हण भोजन करवाया जाता है तथा उनका आदर किया जाता है। कहा जाता है ब्राम्हण का तिरस्कार करने वाले पापी व्यक्ति माना जाता है।

गुरु


हमारी परंपराओं में गुरु का दर्जा सबसे सबसे ऊपर है। कहा जाता है कि गुरु के ज्ञान के बिना भगवान की भक्ति भी नहीं हो सकती है, इसलिए गुरु को सर्वोपरि माना गया है। किसी भी शुभ कार्य को आरंभ करने से पहले गुरु के पैर छूकर उनका आशीर्वाद लिया जाता है। इसलिए उनको भूल से भी कभी पैर न लगाएं।

गाय

हिंदू धर्म में गाय की पूजा की जाती है और गाय के गोबर का प्रयोग सभी शुभ कार्यों में होता है। इसलिए यदि कभी आपके द्वार पर गाय आए तो उसे कभी भी मारकर नहीं भगाना चाहिए। गाय को माता का रूप माना गया है। इसलिए गाय को कभी भी परेशान नहीं करना चाहिए।

शिशु


आचार्य चाणक्‍य का मानना है कि बच्‍चे भगवान का रूप होते हैं और उन्‍हें कभी भी मारना और डांटना नहीं चाहिए। छोटे बच्‍चों को कभी भी पैर से ठोकर नहीं मारनी चाहिए। ऐसा करने वाले को भगवान भी कभी माफ नहीं करते हैं।

कुंवारी कन्या


कभी भी किसी कुंवारी को पैर नहीं लगाने चाहिए। धार्मिक ग्रंथों में कन्या को देवी के तुल्य समझा जाता है। इसलिए न तो कन्या को पैर न तो लगाएं न ही कभी अपने पैर भी छूने दें।