शुक्र के अशुभ फलों से मुक्ति दिलाएंगे ये सरल उपाय, आइये जानें

शुक्र ग्रह को भोग और विलास का कारक ग्रह माना जाता हैं जो कि व्यक्ति को जीवन में मिलने वाले भौतिक सुखों को भी नियंत्रित करता हैं। आपको अपने जीवन में कब, कितनी मात्रा में किस प्रकार का सुख उपलब्ध होगा, इसका निर्णय शुक्र पर ही निर्भर होता हैं। ऐसे में जरूरी हैं कि शुक्र को प्रसन्न किया जाए और शुक्र के अशुभ फलों से मुक्ति पाई जाए। आज हम आपको इसी से जुड़े कुछ उपायों की जानकारी देने जा रहे हैं। तो आइये जानते हैं इसके बारे में।

स्नानादि

जायफल, मैनसिल, पीपरामूल, केसर, इलायची, मूली बीज, हरड़, बहेड़ा, आंवला आदि में जो सामग्री उपलब्ध हो उनके मिश्रित जल से स्नान करने से शुक्र से उत्पन्न अरिष्ट शांत होते हैं।

पूजा-पाठ

शुक्र का मंच, दुर्गा सप्तशती का विधिवत पाठ, शतचंडी का पाठ, शुक्र स्तोत्र या कवच का पाठ, आचार्य शंकर कृत सौंदर्य लहरी के श्लोक का पाठ, इंद्राक्षी कवच, अन्नपूर्णा स्तोत्र, विवाह बाधा उत्पन्न होने पर कन्याओं को कामदेव मंत्र और पुरुषों को मोहिनी कवच का पाठ उत्तम फल प्रदान करता है। साथ ही श्रीसूक्त, लक्ष्मी कवच आदि का पाठ करते रहना चाहिए।

रत्नादि

शुक्र के अनिष्ट नाश और सुख प्राप्ति के लिए हीरा धारण किया जाता है। जरिकन युक्त शुक्र यं‍त्र धारण करने से पत्नी सुख, व्यापार और धन में वृद्धि होती है। कम से कम एक रत्ती हीरे को सात रत्ती सोने की अंगूठी में जड़वाना चाहिए। सोने के अभाव में हीरे को विचित्र रंग के वस्त्र में बांधकर गले या भुजा में धारण करना चाहिए। हीरे के अभाव में उसके उपरत्न संग कांसला, संग दुतला, संग कुरंज या संग तुरमुली को भी धारण किया जा सकता है। इनके अलावा चांदी अथवा सिंहपुच्छी नामक पौधे की जड़ को भी धारण करने से लाभ होता है।