Basant Panchami 2019: जानें क्या है बसंत पंचमी का महत्व, कैसे और क्यों होती है मां सरस्वती की पूजा

बसंत पंचमी (Basant Panchami) के दिन को मां सरस्वती (Saraswati Puja) का जन्मदिवस माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन सुबह उठकर स्नान कर मां सरस्वती की पूजा करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है और जीवन में तरक्की के बंद द्वार खुल जाते हैं। सरस्वती मां को ज्ञान, कला और संगीत की देवी कहा जाता है। हिंदु धर्म में प्रचलित कथा के मुताबिक बसंत पंचमी (Basant Panchami 2019) के दिन ही ब्रह्मा जी ने मां सरस्वती (Maa Saraswati) की सरंचना की थी। एक ऐसी देवी जिनके चार हाथ थे, एक हाथ में वीणा, दूसरे में पुस्तक, तीसरे में माला और चौथा हाथ वर मुद्रा में था। ब्रह्मा जी ने इस देवी से वीणा बजाने को कहा, जिसके बाद संसार में मौजूद हर चीज़ में स्वर आ गया। इसलिए ब्रह्मा जी ने उस देवी को वाणी की देवी (Vaani Ki Devi) नाम दिया। इसी वजह से मां सरस्वती (Saraswati Mata) को ज्ञान, संगीत, कला की देवी कहा जाता है। बसंत पंचमी (Vasant Panchami) के दिन मां सरस्वती (Saraswati Maa) की खास पूजा की जाती है। मान्यता है कि बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा करने से बुद्धि और ज्ञान बढ़ता है। क्योंकि मां सरस्वती संगीत के साथ ही वाणी और ज्ञान की देवी भी हैं।

बसंत पंचमी पर पीले रंग का महत्व

बसंत पंचमी पर पीले रंग का खास महत्व होता है। दरअसल, बसंत ऋतु में सरसों की फसल से पूरी धरती पीली दिखाई देती है, वहीं सूर्य के उत्तरायण के चलते भी इस दिन पीले रंग का महत्व बढ़ जाता है। बता दें बसंत पंचमी पर पीले रंग के कपड़ों के अलावा पीले रंग के खाने और पतंग उड़ाने का भी काफी महत्व है।

अगर आप भी ज्ञान की देवी मां सरस्वती की पूजा (Saraswati Puja Vidhi) करें, तो यहां दी गई विधि को अपनाएं

- बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा करने के लिए सबसे पहले सरस्वती की प्रतिमा रखें।
- कलश स्थापित कर सबसे पहले भगवान गणेश का नाम लेकर पूजा करें।
- सरस्वती माता की पूजा करते समय सबसे पहले उन्हें आमचन और स्नान कराएं।
- माता को पीले रंग के फूल अर्पित करें, माला और सफेद वस्त्र पहनाएं फिर मां सरस्वती का पूरा श्रृंगार करें।
- माता के चरणों पर गुलाल अर्पित करें।
- सरस्वती मां पीले फल या फिर मौसमी फलों के साथ-साथ बूंदी चढ़ाएं।
- माता को मालपुए और खीर का भोग लगाएं।
- सरस्वती ज्ञान और वाणी की देवी हैं। पूजा के समय पुस्तकें या फिर वाद्ययंत्रों का भी पूजन करें।
- कई लोग बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती का पूजन हवन से करते हैं। अगर आप हवन करें तो सरस्वती माता के नाम से 'ओम श्री सरस्वत्यै नम: स्वहा" इस मंत्र से एक सौ आठ बार जाप करें।

- साथ ही संरस्वती मां के वंदना मंत्र का भी जाप करें।

या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना।
या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥

शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमामाद्यां जगद्व्यापिनीं
वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्‌।
हस्ते स्फटिकमालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम्‌
वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्‌॥२॥

पूजा के दौरान इन बातों का रखें ध्यान

बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा करते वक्त पीले या फिर सफेद कपड़े पहनने चाहिए। ध्यान रहे कि काले और लाल कपड़े पहनकर मां सरस्वती की पूजा ना करें। बसंत पंचमी के दिन माता सरस्वती की पूजा उत्तर दिशा की तरफ मुंह करके करनी चाहिए। मान्यता है कि मां सरस्वती को श्वेत चंदन और पीले फूल बेहद पंसद है इसलिए उनकी पूजा के वक्त इन्हीं का इस्तेमाल करें। पूजा के दौरान प्रसाद में दही, लावा, मीठी खीर अर्पित करनी चाहिए। पूजा के दौरान माँ सरस्वती के मूल मंत्र "ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः" का जाप करें।

जरूर अर्पित करें ये 5 चीजें

- बंसत पंचमी के दिन पीले रंग का विशेष महत्व है इसलिए सफेद की बजाय पीले रंग के वस्त्र अर्पित करें तो यह बहुत शुभ होता है। इस दिन अपने शरीर पर पीले रंग का वस्त्र धारण करें।

- सरस्वती पूजा में पेन और कॉपी जरूर शामिल करें, इससे बुध की स्थिति अनुकूल होती है जिससे बुद्धि बढ़ती है और स्मरण शक्ति भी अच्छी होती है।

- केसर और पीला चंदन का तिलक करें और खुद भी लगाएं। ज्योतिषशास्त्र में इसे गुरु से संबंधित वस्तु कहा गया है जिससे ज्ञान और धन दोनों के मामले में अनुकूलता की प्राप्ति होती है।

- देवी सरस्वती को पीले और सफेद रंग के फूल पसंद है। आपको इन फूलों से देवी की पूजा करनी चाहिए। देवी को प्रसन्न के लिए आप गेंदे और सरसों के पुष्प अर्पित कर सकते हैं।

- मां सरस्वती को बूंदी का प्रसाद बहुत प्रिय होता है। बूंदी पीले रंग की होती है और यह गुरु से संबंधित वस्तु भी है जो ज्ञान के कारक ग्रह हैं। देवी सरस्वती को बूंदी अर्पित करने से गुरु अनुकूल होते हैं और ज्ञान प्राप्ति में आने वाली बाधा दूर होती है।