इन जगहों पर श्राद्ध करने से बचें, जरूर ध्यान रखें ये बातें

श्राद्ध पक्ष को पूजा-पाठ और श्राद्ध के लिए विशेष माना जाता हैं। इन दिनों में पूर्वज परलोक से पृथ्वी पर आते हैं और हमारे बीच रहते हैं। श्राद्ध पक्ष में परिजनों द्वारा अपने पूर्वजों का विधि-विधान के साथ श्राद्ध किया जाता हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि श्राद्ध को करने का जगह से भी विशेष सम्बन्ध होता हैं। जी हाँ, आप किस जगह पर श्राद्ध कर रहें हैं यह बहुत महत्वपूर्ण होता है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं इससे जुडी कुछ विशेष बातें।

* दूसरे के घर रहकर श्राद्ध न करें। मज़बूरी हो तो किराया देकर निवास करें।

* वन, पर्वत, पुण्यतीर्थ और मंदिर दूसरे की भूमि नहीं इसलिए यहां श्राद्ध करें।

* अगर किराये के घर में श्राद्ध कर रहे हैं तो कोशिश करें कि श्राद्ध से पूर्व जहां पितृ ने अपनी देह त्यागी थी वहां कोई दीपक जलाकर रखा जाए।

* अगर यह संभव न हो तो जिस घर में आप श्राद्ध कर रहे हैं वहां श्राद्ध करने के स्थान को गोबर से लीप कर पवित्र कर लें और किसी योग्य पंडित को बुलाकर पितृ का आह्वान करें।

* अगर यह भी संभव नहीं है तो गोबर के एक छोटे कंडे पर धूप जलाकर उस पर गाय के दूध, घी व हवन सामग्री डाल कर मन ही मन पितृ से कहें कि मेरे पास आपके आशीर्वाद से सबकुछ है लेकिन पैतृक आवास नहीं होने के कारण इस स्थान को शुद्ध कर मैं आपको आमंत्रित करता हूं। अवश्य पधारें।

* श्राद्ध में कुशा के प्रयोग अवश्य करें, इससे श्राद्ध राक्षसों की दृष्टि से बच जाता है।

* अगर किराये के मकान में श्राद्ध कर रहे हैं तो तुलसी चढ़ाकर पिंड की पूजा करें इससे पितृ प्रलयकाल तक प्रसन्न रहते हैं। तुलसी चढ़ाने से पितृ, गरूड़ पर सवार होकर विष्णु लोक चले जाते हैं।