ईशान कोण की अनदेखी बन सकती है अशांति का कारण, जानिए क्यों जरूरी है इसे खाली और स्वच्छ रखना

घर की बनावट और उसके भीतर की ऊर्जा का हमारे जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। वास्तु शास्त्र इसी ऊर्जा प्रवाह को संतुलित करने की प्राचीन भारतीय प्रणाली है, जो बताता है कि किस दिशा में क्या रखना चाहिए और किन चीज़ों से परहेज करना चाहिए। इनमें सबसे अहम दिशा मानी जाती है उत्तर-पूर्व दिशा, जिसे ईशान कोण कहते हैं। इस दिशा की उपेक्षा या गलत उपयोग से न केवल मानसिक तनाव, बल्कि आर्थिक और पारिवारिक समस्याएं भी बढ़ सकती हैं।

ईशान कोण: ऊर्जा और शांति का केंद्र


वास्तु शास्त्र में ईशान कोण को सबसे पवित्र और ऊर्जावान दिशा माना गया है। यह भगवान शिव का स्थान माना जाता है और जल तत्व से जुड़ी हुई दिशा है। इसी कारण, यह दिशा ज्ञान, ध्यान, स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए अत्यंत शुभ मानी जाती है। यदि इस दिशा में गंदगी, भारी सामान या कबाड़ रख दिया जाए, तो यह सकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह को रोक देती है, जिससे वास्तु दोष उत्पन्न होते हैं।

कबाड़ या अनुपयोगी वस्तुएं बनती हैं बाधा का कारण


अक्सर हम पुराने फर्नीचर, टूटे-फूटे उपकरण, या बेकार वस्तुओं को घर के किसी कोने में जमा कर देते हैं और जाने-अनजाने में वे ईशान कोण में चली जाती हैं। वास्तु के अनुसार, यह सबसे बड़ा दोष है। कबाड़ से भरा ईशान कोण घर में नकारात्मक ऊर्जा को जन्म देता है, जिससे सदस्यों के बीच तनाव, अस्वस्थता और मानसिक अशांति बढ़ सकती है।

भारी सामान से बचना क्यों जरूरी है?

ईशान कोण को वास्तु में हल्का और खुला रखने की सलाह दी गई है। अगर इस दिशा में बड़ी अलमारी, भारी मशीन या अन्य बड़ा फर्नीचर रखा गया है, तो यह भी वास्तु दोष का कारण बन सकता है। इससे ऊर्जा का प्रवाह अवरुद्ध होता है और समृद्धि में रुकावट आती है। बेहतर होगा कि इस दिशा को प्राकृतिक रोशनी और ताजगी से भरपूर रखा जाए।

टॉयलेट और किचन जैसी संरचनाएं और भी हानिकारक

वास्तु के अनुसार, ईशान कोण में टॉयलेट, बाथरूम या किचन का निर्माण नहीं होना चाहिए। टॉयलेट गंदगी और नकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है, जबकि यह दिशा जल तत्व और पवित्रता की सूचक है। यहां गंदगी होने से घर के सदस्यों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ सकता है। इसी प्रकार, किचन अग्नि तत्व से संबंधित है, जो जल तत्व से टकराव उत्पन्न करता है, जिससे तनाव और विवाद बढ़ सकते हैं।

स्वच्छता और सजावट की सही तकनीक

ईशान कोण को साफ और हल्का बनाए रखने के लिए यहां कभी भी धूल, मकड़ी के जाले, पुराने सामान या गंदे जूते-चप्पल न रखें। इस क्षेत्र को नियमित रूप से पोछा लगाकर, गंगाजल का छिड़काव कर और सुगंधित दीप जलाकर शुद्ध किया जा सकता है। यदि संभव हो तो इस कोने में मां सरस्वती की मूर्ति, गंगाजल से भरा कलश या छोटे सजावटी पौधे रखें।

इस दिशा को ऐसे बनाएं शुभता का केंद्र


ईशान कोण को घर की शुभता और सकारात्मक ऊर्जा का केंद्र माना जाता है। इसे वास्तुशास्त्र में अत्यंत पवित्र दिशा माना गया है, इसलिए इस दिशा का सही उपयोग घर की संपूर्ण ऊर्जा को संतुलित करने में सहायक होता है। यदि आप इस दिशा में पूजा घर, ध्यान (मेडिटेशन) की जगह या अध्ययन कक्ष बनाते हैं, तो यह न केवल मानसिक शांति देता है, बल्कि आध्यात्मिक उन्नति में भी मदद करता है।
इस स्थान की दीवारों पर हल्के रंगों का उपयोग करना जैसे सफेद, हल्का नीला या क्रीम, वातावरण को शांतिपूर्ण और सौम्य बनाए रखता है। साथ ही, यह सुनिश्चित करें कि यहां पर्याप्त प्राकृतिक रोशनी और ताजा हवा का प्रवाह बना रहे, ताकि ऊर्जा का संचार ठीक प्रकार हो।

हर सुबह इस दिशा में एक दीपक जलाना या कपूर जलाना नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है और सकारात्मकता को आमंत्रित करता है। इस प्रकार, ईशान कोण को ध्यानपूर्वक सजाकर और उसका पवित्र उपयोग सुनिश्चित कर आप अपने घर को एक आध्यात्मिक और ऊर्जावान स्थान बना सकते हैं।
जीवन के संतुलन और मानसिक शांति का केंद्र है ईशान कोण

ईशान कोण वास्तु में केवल एक दिशा नहीं, बल्कि जीवन के संतुलन और मानसिक शांति का केंद्र है। यदि इस दिशा का सही उपयोग किया जाए और इसे स्वच्छ तथा हल्का रखा जाए, तो न केवल मानसिक रूप से घर के लोग स्वस्थ रहेंगे, बल्कि आर्थिक और पारिवारिक समृद्धि भी बनी रहेगी। वास्तु दोषों से बचने के लिए यह जरूरी है कि हम ईशान कोण को बेकार वस्तुओं का अड्डा न बनाएं, बल्कि इसे अपने घर की सबसे ऊर्जावान दिशा के रूप में सम्मान दें।