शनि के प्रकोप से बचने और उन्हें प्रसन करने के सरल उपाय

शनि को न्याय का देवता कहा जाता हैं। यह माना जाता हैं कि मनुष्य के पाप-पुण्य और कर्म का फल शनि देते हैं। शनि को सभी ग्रहों में से सबसे खतरनाक माना जाता हैं। क्योंकि जब शनि का प्रकोप किसी व्यक्ति पर पड़ता हैं तो इंसान का बुरा समय शुरू हो जाता हैं, उसे कई तकलीफों का सामना करना पड़ता हैं। इसलिए अच्छे कर्म करने के साथ ही शनि देव को भी खुश रखना पड़ता हैं। आज हम आपको शनि देव को प्रसन्न करने के कुछ आसान से उपाय बताने जा रहे हैं, जिससे आप शनि देव को शांत कर सकते हैं।

* शनिवार, मंगलवार को हनुमानजी को चमेली के तेल का दीप जलाएं, दर्शन का लाभ लें।

* शनिवार को पीपल के वृक्ष की पूजा विधि-विधान से करें। भागवत के अनुसार पीपल, भगवान श्रीकृष्ण का ही रूप है। शनि दोषों से मुक्ति के लिए पीपल की पूजा करें।

* शनिवार को श्रद्धापूर्वक शनि यंत्र की प्रतिष्ठा करके प्रतिदिन इस यंत्र के सामने सरसो के तेल का दीपक जलाएं। नीला या काला फूल चढ़ाएं, ऐसा करने से लाभ होगा। साथ ही इस यंत्र के सामने बैठकर प्रतिदिन शनि स्त्रोत या ऊं शं शनैश्चराय नम: मंत्र का जाप भी करें।

* सवा-सवा किलो काले चने अलग-अलग तीन बर्तनों में भिगो दें। इसके बाद नहाकर, साफ वस्त्र पहनकर शनिदेव का पूजन करें और चनों को सरसो के तेल में छौंक कर इनका भोग शनिदेव को लगायें। इसके बाद पहला सवा किलो चना भैंसे को खिला दें। दूसरा सवा किलो चना कुष्ट रोगियों में बांट दें और तीसरा सवा किलो चना अपने ऊपर से उतार कर किसी सुनसान स्थान पर रख आयें

* शनिवार को सुबह स्नान आदि करने के बाद शनिदेव का विधि-विधान से पूजन करें। इसके बाद सरसो के तेल से अभिषेक करें। तेल में काले तिल भी डालें। इसके बाद शनिदेव के 108 नामों का स्मरण करें। इस प्रकार शनिदेव का पूजन करने से भक्त के संकट टल जाते हैं और मनोकामना पूरी होने के योग बनते हैं।

* यदि आप पर शनि की साढ़ेसाती, ढय्या या महादशा चल रही हो तो इस दौरान मांस, मदिरा का सेवन न करें। इससे भी शनि के दुष्प्रभाव में कमी आती है।

* शनिवार को हनुमानजी का पूजन करें। चमेली के तेल से सिंदूर का चोला चढ़ाएं। गुलाब के फूल अर्पित करें। चूरमे का भोग लगाएं व केवड़े का इत्र हनुमान के दोनों कंधों पर छिड़कें। इसके बाद हनुमानजी से सुख-समृद्धि के लिए प्रार्थना करें। ये उपाय आप किसी अन्य शनिवार को भी कर सकते हैं।

* काले घोड़े की नाल या समुद्री नाव की कील से लोहे की अंगूठी बनवाएं। उसे तिल के तेल में रखें तथा उस पर शनि मंत्र का 23000 जाप करें। शनिवार को इसे धारण करें। यह अंगूठी मध्यमा (शनि की उंगली) में ही पहनें।