व्यक्ति के स्वभाव को समझने और उसके भविष्य के रहस्य को सुलझाने से जुड़ी कई विद्याएं हमारी भारतीय पद्धति का हिस्सा रही हैं। जन्म के समय और तारीख के आधार पर कुंडली का आंकलन करना हो या फिर हस्तरेखा शास्त्र के अंतर्गत व्यक्ति के वर्तमान को समझना हो, यह सभी ज्योतिषीय विद्याएं भारत की प्राचीन विद्याओं में से एक हैं। लेकिन कई ज्योतिषी कहते हैं कि कुंडली में होने वाला राजयोग तब तक सिद्ध नहीं होता जब तक इसके लक्षण की व्यक्ति के शारीरिक अंगों और उसकी बनावट पर ना दिखें। व्यक्ति के शरीर के अंग पर किस निशान का क्या महत्व है इसके बारें में समुद्र शास्त्र में विस्तार से बताया गया है। जानकार बताते हैं कि इसके द्वारा व्यक्ति के भविष्य तथा व्यक्ति की किस्मत में कौन सा राजयोग है इसके बारें में पता चलता है। आइये जानते हैं इन चिन्हों के बारे में।
* सामुद्रिक शास्त्र की रचना करने वाले महर्षि समुद्र के कथनानुसार जिस व्यक्ति के पैर के तलवे में अंकुश, कुंडल या चक्र का निशान दिखाई देता है वह एक अच्छा शासक बनकर राष्ट्र का प्रतिनिधित्व करता है।
* जिसके हाथ में तिल का चिह्न हो वह बड़ा धनवान होता है। किंतु पांव के तलवे में यदि तिल और वाहन का चिह्न हो, तो वह राजा (शासक) होता है।
* समुद्र शास्त्र में कहा गया है कि अगर किसी व्यक्ति के हाथों या पैरों में मछली, तालाब, हस्ती, छत्र, अंकुश या वीणा जैसे दिखने वाले निशान होते तो ऐसे लोग श्रेष्ठ होते हैं। इन लोगों का जीवन सारी जिंदगी अच्छा रहता है। इन लोगों को जीवन में कोई बड़ी परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता।
* सामुद्रिक शात्र के अनुसार जिस व्यक्ति की छाती चौड़ी, नाक लंबी होती है और नाभि गहरी होती है उसकी किस्मत उसे एक बड़ा शासक बनाती है।
* मध्यमा अगुंली के मूल से मणिबधं तक फैली जो रेखा होती है, उसे ऊर्घ्व रेखा या भाग्य रेखा कहते हैं यदि भाग्यरेखा सुस्पष्ट, गहरी और अखंडित हो तो सांसारिक सुख, सुविधा, यश, भोग व राज्य प्रदायक होती है।
* हथेली या पांव के तलवों पर शंख, चक्र, गदा, खड्ग, अंकुश, धनुष, बान आदि के चिह्न होना राजयोग की संभावना को स्पष्ट करता है।
* जिस पुरुष के अंगूठे के मध्य में यव (जौ) का चिह्न हो, वह बहुत यशस्वी और अपने कुल को विभूषित करने वाला हातो है, सखुा-सुविधाओं से युक्त, विनम्र और मधुरभाषी होता है।