अक्सर आपने देखा होगा कि ऐसे कई युवा होते हैं जिनके योग्य होने पर भी उनके विवाह में देरी होती हैं और किसी कारणवश उनका विवाह नहीं हो पाता हैं और वे चाह रखते हैं कि उनका विवाह जल्द हो और एक सुशील और योग्य पत्नी उन्हें मिले। यह समस्या उनकी कुंडली में स्थित ग्रहों की स्थिति की वजह से होती है और इस समस्या से निकलने के लिए ज्योतिषीय उपायों का ही सहारा लेने की जरूरत पड़ती हैं। इसलिए आज हम आपको बताने जा रहे हैं कुछ ऐसे ज्योतिषीय उपाय जो आपको शादी के लिए सुशील कन्या दिलाए।
* यदि किसी अविवाहित युवक का किसी कारणवश विवाह न हो पा रहा हो तो श्री दुर्गा जी का ध्यान करते हुये वह घी का दीपक जलाकर किसी एकांत स्थान में स्नान शुद्धि के उपरांत नित्य प्रातःकाल उपरोक्त पंचपदी का उच्च स्वर में 108 बार पाठ करें। "मन अनुसार चले जो, मन को हरने वाली, ऐसी पत्नी करो प्रदानम्, लाग रहे चरणम्, जये दुर्गे नमनम्।" इस मंत्र का जाप करें तो, जगत्जननी माता दुर्गा जी की कृपा से सुयोग्य पत्नी की प्राप्ति शीघ्र हो जाती है।
* दुर्गा सप्तशती की पुस्तक मे से नित्य अर्गला-स्तोत्र का एक पाठ (पूर्ण रूप में) करने से सुलक्षणा पत्नी की प्राप्ति संभव हो जाती है। यदि अर्गला-स्तोत्र का पूर्ण रूप में पाठ न कर सकें तो विवाहेच्छुक युवक को अर्गला स्तोत्र के 24वें श्लोक का मंत्र रूप में 108 बार पाठ या जप करने से पत्नी रूपी गृहलक्ष्मी की प्राप्ति संभव होती है।
* कोई भी प्रयोग कृष्ण पक्ष की अष्टमी या चतुर्दशी तिथि से आरंभ कर विवाह संबंध सुनिश्चित हो जाने तक सतत करते रहना चाहिये। पाठ के समय शुद्धता रखनी चाहिए। दुर्गाजी की नित्य सामान्य पूजा जल, पुष्प, फल, मेवा, मिष्ठान्न, रोली व कुंकुम या लाल चंदन, गंध आदि से करते रहना चाहिये। सप्ताह में कम से कम एक ब्राह्मण व दो कन्याओं को भोजन करना चाहिये।
* प्रतिदिन पाठ के उपरांत कम से कम ग्यारह आहुतियां दुर्गाजी के नाम से देनी चाहिये। पूर्ण श्रद्धा, विश्वास और भक्ति भावना के साथ इस तरह के विधान का पालन करने से मनोकामना पूर्ण होती हैं। नवदुर्गा यंत्र या दुर्गा बीसा यंत्र की स्थापना पाठ के प्रथम दिन करनी चाहिये।
* सायंकाल में भी एक माला जप मानसिक रूप में किया जाय। ऐसा करने से एक माह में सुंदर, सुशील और सुसम्पन्न कन्या से विवाह निश्चित हो सकता है। "ऊँ विश्वा वसुर्नामगं धर्वो कन्यानामधिपतिः। सुरूपां सालंकृतां कन्या देहि में नमस्तस्मै॥ विश्वावसवे स्वाहा॥" इस प्रकार से विश्वावसु नामक गंधर्व को सात अंजली जल अर्पित करके उपरोक्त मंत्र/विद्या का जप करने से एक माह के अंदर अलंकारों से सुसज्जित श्रेष्ठ पत्नी की प्राप्ति होती है।