गौ माता से जुड़े ज्योतीषीय उपाय, जो देतें है संकेत अच्छे और बुरे समय का

पुराणों में वर्णन मिलता है की कामधेनु एक दैविक गाय थी जिसके दर्शन मात्र से सभी दुःख दूर हो जाते थे। काम मतलब इच्छा और धेनु मतलब पूर्ण करना अत: कामधेनु मतलब इच्छा को पूर्ण करने वाली। इस गौ का दूध अमृत तुल्य होता है। दैवीय शक्तियाँ से पूर्ण गाय में सभी देवी देवताओ का वास रहता है। गौ माँ की जितनी महिमा बताई जाये उतनी कम है। आप किसी भी मंदिर में चले जाये आपको गिनती के देवी देवताओ की मूर्तियाँ दिखाई देगी पर इस संसार में गाय माँ ऐसी प्राणी है जिसमे मुख्य सभी देवी देवताओ का निवास है। अब आप ही बताये की इससे अधिक पवित्र और सनातनी प्राणी ओर कौन हो सकता है। यहां हम आपको गौ माता से संबंधित कुछ ज्योतीषीय उपचार भी बताने जा रहे हैं। ज्योतिष विधा की नज़र से गाय से संबंधित वह कौन से कर्म कांड हैं जिन्हें करने से आपको लाभ होगा, जानिए।

# ज्योतिष शास्त्र में गोधूलि नामक एक योग होता है, यह योग गाय से संबंधित है। इस योग के संदर्भ में ऐसा माना जाता है कि यदि किसी के विवाह के लिए उत्तम मुहूर्त नहीं मिल रहा है या फिर भविष्य में किसी के वैवाहिक जीवन में परेशानियां आने के संकेत हैं और उन्हें दूर करना चाहते हैं तो गोधूलि योग में वर-वधु का विवाह करें।

# ऐतरेय ब्राह्मण में अग्निहोत्र की गाय का बछड़ा छोड़ने पर या दूध दोहते समय बैठ जाना, दूध दोहते समय गाय का उच्च स्वर में रंभाना भी अपशकुन कहा गया है, जिसका कुप्रभाव यज्ञ में भुखमरी की सूचना माना जाता है।

# यात्रा पर जा रहे व्यक्ति को गाय अपने खुरों से जमीन खुरचती दिखाई दे तो आने वाले समय में उसे बीमारी का सामना करना पड़ सकता है।

# यदि आप किसी महत्वपूर्ण यात्रा पर जा रहे हैं और चाहते हैं कि सफल होकर ही लौटें तो जाने से पहले गाय को भोजन कराकर जाएं। और यदि यात्रा पर निकलते समय अचानक रास्ते में कोई गाय सामने पड़ जाए अथवा बछड़े को दूध पिलाती हुई सामने दिख जाए तो भी यात्रा सफल हो जाती है।

# दूध दोहते समय गौ का ठोकर खा जाना, दूध का बिखर जाना आदि अन्य अपशकुन माने गए हैं जिनके लिए प्रायश्चित विधान है।

# यदि किसी व्यक्ति को यात्रा पर जाते समय सांड अपने सींग या खुर से जमीन खोदता हुआ दिखाई दे तो यह भी शुभ शकुन माना जाता है।

# यदि आप अपनी जन्म कुंडली में ग्रहों के बीच प्रभाव से परेशान हैं तो इसके लिए भी ज्योतिषीय उपाय मौजूद हैं। किसी की जन्म कुंडली में यदि शुक्र अपनी नीच राषि कन्या पर हो या शुक्र की दशा चल रही हो तो प्रातःकाल के भोजन में से एक रोटी सफेद रंग की देशी गाय को 43 दिन तक लगातार खिलाने से शुक्र का नीचत्व एवं शुक्र संबंधित कुदोष स्वतः ही समाप्त हो जाते हैं।

# लेकिन गाय का महत्व आप तक अधिक समझ सकेंगे जब आप जानेंगे कि गाय का अपमान करने पर घोर पाप मिलता है। शास्त्रीय मान्यताओं के अनुसार यदि कोई व्यक्ति गाय के जल पीने में विघ्न उत्पन्न करता है तो वह महापाप का भोगी बनता है। ऐसा भूलकर भी नहीं करना चाहिए।