रूप चौदस पर करें ये उपाय रहेंगे सदाबहार जवान और खूबसूरत

दीपावली के ठीक एक दिन पहले मनाई जाने वाली नरक चतुर्दशी को छोटी दीवाली अथवा रूप चौदस के रूप में मनाया जाता है। ज्योतिषाचार्य के अनुसार शास्त्रानुसार कार्तिक कृष्णा चतुर्दशी को जिस दिन चंद्रोदय के समय चतुर्दशी हो उस दिन रूप चतुर्दशी मनाई जाती है। इस दिन भक्ति पूजा करने से बाह्य व आंतरिक सुंदरता व रूप का वरदान मिलता है इसलिए इस दिन को रूप चौदस के रूप में भी मनाया जाता है।

नरकासुर के मारे जाने की खुशी में लोगों ने दीवाली से एक दिन पहले ही घी के दीपक जलाकर छोटी दीवाली मनाई थी तब से आज तक रात को नरक चौदस छोटी दीवाली के रूप में मनाए जाने की परम्परा है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि आपको कौन से उपाय इस दिन क्या करना चाहिए आपको ताकि पाप और नर्क से मुक्ति मिले, सदाबहार जवान और खूबसूरत रहें आप।

* कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी को विधि-विधान से यम की पूजा करने वाले व्यक्ति को सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है। यम की पूजा से अकाल मृत्यु नहीं होती है। इस दिन की गई पूजा से यम देव प्रसन्न होते हैं। इसी दिन शाम को दीपदान की प्रथा है जिसे यमराज के लिए किया जाता है।

* इस दिन स्नान से पहले शरीर पर तिल्ली के तेल से मालिश जरुर करनी चाहिए, (कार्तिक मास में बहुत से लोग तेल का उपयोग नहीं करते है वह भी इस दिन तेल से मालिश कर सकते है) इस दिन तिल्ली के तेल में लक्ष्मी जी और जल में गंगा जी का निवास माना गया है, स्नान से पहले तेल लगाने के बाद शरीर में उबटन भी लगाना चाहिए, स्नान से पूर्व वरुण देवता का ध्यान करते हुए जल में हल्दी और कुमकुम डालकर स्नान करना अत्यंत उत्तम माना गया है ।

* दिवाली के दिन किसी भिकारी या गरीब व्यक्ति को अपनी श्रद्धा के अनुसार अन्न का दान करना लाभ देता है। दिवाली के दिनों में मुख्या द्वार के बहार रंगोली अवश्य बनानी चाहिए।

* ज्योतिष के अनुसार श्राद्ध विधान में बताया गया है कि कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी को शाम को यम तर्पण का विधान है। इस दिन चतुर्दश यम (यमराज, धर्मराज, मृत्यु, अनंत, वैवत्वत, काल, सर्वभूत शयर, औडूम्बर, दध्नाय, नीलाय, परमेष्ठि, व्रकोदर, पितृ, चित्रगुप्त) है। इन यमों का तर्पण दक्षिण दिशा में मुहं करके जल, तिल और कुशा लेकर देवतीर्थ में किया जाता है।

* स्नान से पूर्व तुम्बी (लौकी का टुकड़ा ) और अपामार्ग ( आठ उंगली लकड़ी का टुकड़ा ) इन दोनों को अपने सर के चारों ओर सात बार घुमाएँ इससे नरक का भय समाप्त होता है। साथ ही यह कहें हे तुम्बी, हे अपामार्ग आप बार - बार फिराएं जाते हो, आप मेरे पापों को दूर करों ओर कुबुद्धि का नाश करों । स्नान के पश्चात् इस तुम्बी ओर अपामार्ग को घर के दक्षिण दिशा में विसर्जित कर देना चाहिए।

* बेल के पेड़ के नीचे दीपक लगाएं। बेल का पेड़ भगवान शिव के साथ साथ माँ लक्ष्मी को भी बहुत प्रिय है। ऐसा करने से आपको हर तरह की सुख समृद्धि प्राप्त होगी।