कोई जातक चाहे वह स्त्री हो या पुरुष उसके मांगलिक होने का अर्थ है कि उसकी कुण्डली में मंगल अपनी प्रभावी स्थिति में है। जब किसी कुण्डली में जब प्रथम, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम अथवा द्वादश भाव में मंगल होता है तब मंगलिक दोष लगता है। इस दोष को विवाह के लिए अशुभ माना जाता है। यह दोष जिनकी कुण्डली में हो उन्हें मंगली जीवनसाथी ही तलाश करना चाहिए ऐसी मान्यता है। यदि किसी की कुंडली में मंगल दोष निकल आता है तो घबराने की जरुरत नहीं क्योंकि ज्यतिषी उपाय से सभी प्रकार के मंगल दोष को दूर किया जा सकता है। आइये जानते हैं उन उपायों के बारे में।
* अगर किसी का विवाह कुण्डली के मांगलिक योग के कारण नहीं हो पा रहा है, तो ऎसे व्यक्ति को मंगल वार के दिन चण्डिका स्तोत्र का पाठ और मंगलवार तथा शनिवार के दिन सुन्दर काण्ड का पाठ करना चाहिए। इससे भी विवाह के मार्ग की बाधाओं में कमी होती है।
* लाल वस्त्र में मसूर दाल, रक्त चंदन, रक्त पुष्प, मिष्टान एवं द्रव्य लपेट कर नदी में प्रवाहित करने से मंगल अमंगल दूर होता है।
* मंगल कुंडली में जिस तरह की समस्या दे रहा हो उसके मुताबिक ही समाधान करें। क्योंकि हर मामले में मंगल वैवाहिक जीवन ही खराब नहीं करता।
* मंगल दोष के मामले में सबसे ज्यादा ध्यान स्वभाव का रखना चाहिए। अपने खान-पान की आदतों में बदलाव लाएं। गर्म और ताजा भोजन करने से कमजोर मंगल मजबूत होता है।
* हर मंगलवार को शिवलिंग पर कुमकुम चढ़ाएं। इसके साथ ही शिवलिंग पर लाल मसूर की दाल और लाल गुलाब अर्पित करें।
* मंगल दोष के निवारण के लिए मूंगा रत्न भी धारण किया जाता है। रत्न जातक की कुंडली में मंगल के क्षीण अथवा प्रबल होने या अंश के अनुसार उसकी डिग्री के हिसाब से पहना जाता है।
* ज्योतिशास्त्र में यदि कन्या की कुंडली मै मांगलिक दोष का परिहार नही हो रहा हो तो उपाय के रूप मे कन्या का प्रथम विवाहसात फेरे किसी घट (घडे) या पीपल के वृक्ष साथ कराए जाने का विधान है।